उलूक टाइम्स: हलका
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सोमवार, 27 अक्टूबर 2014

दिमाग का भार याद रख और दिल का हलका फूल मत भूल

अपने
भारी हो गये
सिर को

हलका
करने के लिये


अच्छा
रास्ता है
रास्ते पर
ला कर
रख देना

बेकार
पड़े हुऐ
पत्थर की तरह

आने जाने
वालों के
देखने समझने
के लिये

और
कुछ के ठोकर
खाने के लिये भी

सब
करते हैं
अपने अपने
हिसाब से

कुछ
के छोटे मोटे कंकड़

कुछ
के थोड़े बड़े

कुछ
के तेरे
जैसे अझेल

अब
किया
क्या जाये

माना कि
जरूरी होता है

बोझ
कम कर लेना
थोड़ा थोड़ा ही सही
पूरा का पूरा नहीं भी

पर
कभी कभी
दूसरों के
बारे में भी
सोच लेना

इंसानियत
का एक नियम
तो होता ही है

माना कि
गंगा साफ
कर लेने
की सोच लेना
सबके बस में
नहीं होता है

फिर भी
अपने घर
की नालियाँ
और उसके
बहाव को
बाधित करते

कचरे के
टुकड़े मुकड़े
उठा कर
किनारे
रख लेना भी

नियम
में ही आता है

छोटा ही सही
च्यूइंगम को
खींच कर लम्बा
कर दिया हो तो
वापस
मुँह की ओर भी
ले जा लेना
कभी कभी
सही होता है

यानि कि
सिर पर
भार लेना भी ठीक

और उसे
कभी अपनी जगह
पर रहने देकर

दिल की भी
एक छोटी सी बात
कर लेने में भी

कोई
हर्ज नहीं है

है ना ।

चित्र साभार: http://www.shutterstock.com