कोयल
की तरह
कूँकने वाली
हिरन की
मस्त चाल
चलने वाली
बहुत
भाती थी
मनमोहनी
रोज सुबह
गली को
एक खुश्बू से
महकाते हुवे
गुजर जाती थी
दिन
बरस साल
गुजर गये
मनमौजी
रोजमर्रा की
दुकानदारी में
उलझ गये
अचानक
एक दिन
याद कर बैठे
तो किसी
ने बताया
हिरनी
तो नहीं
हाँ
रोज एक
हथिनी
गली से
आती जाती है
पूरा मोहल्ला
हिलाती है
आवाज
जिसकी
छोटे
बच्चों को
डराती है
समय की
बलिहारी है
पता नहीं
कहाँ कहाँ
इसने मार
मारी है
कब
किस समय
कौन कबूतर
से कौवा
हो जाता है
समय ये
कहाँ बता
पाता है
मनमौजी
सोच में
डूब जाता है
बही
उठाता है
चश्मा आँखों
में चढ़ाता है
फिर
बड़बड़ाता है
बेकार है
अपने बारे
में किसी से
कुछ पूछना
जरूर
परिवर्तन
यहाँ भी बहुत
आया होगा
जब हिरनी
हथिनी बना
दी गयी है
मुझ
उल्लू को
पक्का ही
ऊपर वाले ने
इतने
समय में
एक गधा ही
बनाया होगा।
की तरह
कूँकने वाली
हिरन की
मस्त चाल
चलने वाली
बहुत
भाती थी
मनमोहनी
रोज सुबह
गली को
एक खुश्बू से
महकाते हुवे
गुजर जाती थी
दिन
बरस साल
गुजर गये
मनमौजी
रोजमर्रा की
दुकानदारी में
उलझ गये
अचानक
एक दिन
याद कर बैठे
तो किसी
ने बताया
हिरनी
तो नहीं
हाँ
रोज एक
हथिनी
गली से
आती जाती है
पूरा मोहल्ला
हिलाती है
आवाज
जिसकी
छोटे
बच्चों को
डराती है
समय की
बलिहारी है
पता नहीं
कहाँ कहाँ
इसने मार
मारी है
कब
किस समय
कौन कबूतर
से कौवा
हो जाता है
समय ये
कहाँ बता
पाता है
मनमौजी
सोच में
डूब जाता है
बही
उठाता है
चश्मा आँखों
में चढ़ाता है
फिर
बड़बड़ाता है
बेकार है
अपने बारे
में किसी से
कुछ पूछना
जरूर
परिवर्तन
यहाँ भी बहुत
आया होगा
जब हिरनी
हथिनी बना
दी गयी है
मुझ
उल्लू को
पक्का ही
ऊपर वाले ने
इतने
समय में
एक गधा ही
बनाया होगा।