उलूक टाइम्स

सोमवार, 23 दिसंबर 2013

आम में खास खास में आम समझ में नहीं आ पा रहा है

आज का नुस्खा
दिमाग में आम
को घुमा रहा है
आम की सोचना
शुरु करते ही
खास सामने से
आता हुआ नजर
आ जा रहा है
कल जब से
शहर वालों को
खबर मिली कि
आम आज जमघट
बस आमों में आम
का लगा रहा है
आम के कुछ खासों
को बोलने समझाने
दिखाने का एक मंच
दिया जा रहा है
खासों के खासों का
जमघट भी जगह
जगह दिख जा रहा है
जोर से बोलता हुआ
खासों का एक खास
आम को देखते ही
फुसफुसाना शुरु
हो जा रहा है
आम के खासों में
खासों का आम भी
नजर आ रहा है
टोपी सफेद कुर्ता सफेद
पायजामा सफेद झंडा
तिरंगा हाथ में एक
नजर आ रहा है
वंदे भी है मातरम भी है
अंतर बस टोपी में
लिखे हुऐ से ही
हो जा रहा है
“उलूक” तो बस
इतना पता करना
चाह रहा है
खास कभी भी
नहीं हो पाया जो
उसे क्या आम में
अब गिना जा रहा है ।