अभी अभी का लिखा हुआ पानी पर
अभी का अभी
उसी समय जब मिट रहा है
उसी समय जब मिट रहा है
तुझे ही पड़ी है ना जाने क्यों
कहता जा रहा है पानी सिमट रहा है
जमीन के नीचे बहुत नीचे को चला जा रहा है
पानी की बूंदे तक शरमा रही हैं
अभी दिख रही हैं अभी विलुप्त हो जा रही हैं
उनको पता है
किसी को ना मतलब है ना ही शरम आनी है
सुबह सुबह की ओस की फोटो
तू भी कहीं लगा होगा खींचने में
मुझे नहीं लगता है
किसी और को पानी की कहीं भी याद कोई आनी है
किसी और को पानी की कहीं भी याद कोई आनी है
इधर आदमी लगा है ईजाद करने में
कुछ ऐसी पाईप लाइने
जो घर घर में जा कर
पैसा ही पैसा बहाने को बस रह जानी हैं
तू भी देख ना कहीं पैसे की ही धार को
हर जगह आजकल
वही बात काम में बस किसी के आनी है
पानी को भी कहाँ पड़ी है
पानी की अब कोई जरूरत
आँखे भी आँखो में पानी लाने से
आँखो को ही परहेज करने को
जब कहके यहाँ अब जानी हैं
जब कहके यहाँ अब जानी हैं
नल में आता तो है कभी कभी पानी
घर पर नहीं आता है तो कौन सा गजब ही हो जाना है
बस लाईनमैन की जेब को गरम ही तो करवाना है
तुरंत पानी ने दौड़ कर आ जाना है
मत लिया कर इतनी गम्भीरता से किसी भी चीज को
आज की दुनियाँ में
हर बात नई सी जब हो जा रही है
हर बात नई सी जब हो जा रही है
हवा पानी आग जमीन पेड़ पौंधे
जैसी बातें सोचने वाले लोगों के कारण ही
आज की पीढ़ी
आज की पीढ़ी
अपनी अलग पहचान नहीं बना पा रही है
पानी मिल रहा है पी कुछ मिलाना है मिला
खुश रह
बेकार की बातें मत सोच कुछ कमा धमा
होगा कभी युद्ध भी अगर
पानी को लेकर कहीं
वही मरेगा सबसे पहले
जो पैसे का नल नहीं लगा पायेगा
पैसा होगा तो वैसे भी प्यास नहीं लगेगी
पानी नहीं भी होगा कहीं तब भी
कुछ अजब गजब नहीं हो जायेगा
ज्यादा से ज्यादा
शरम से जमीन के थोड़ा और नीचे की ओर चला जायेगा
और फिर
एक बेशरम चीर हरण करेगा
किसी को भी कुछ नहीं होगा
बस
बस
पानी ही खुद में पानी पानी हो जायेगा ।
चित्र साभार: http://clipart-library.com/