बापू तेरा भी था
आज जन्मदिन
और मेरा भी
हर साल होता था
इस साल भी हो गया
पिछले सालों में
कभी भी नहीं
हो पाया वैसा
जैसा आज
कुछ कुछ ही नहीं
बहुत कुछ होना
जैसा हो गया
बापू तेरा हुआ
होगा कभी
या नहीं भी
हुआ होगा
पर मेरा दिल तो
आज क्या बताऊँ तुझे
झिझक रहा हूँ बताने में
झाड़ू झाड़ू होते होते
पूरा का पूरा बस
झाड़ूमय हो गया
झाडू लगाती थी
कामवाली घर पर
रोज ही लगाती थी
मेरे घर का कूड़ा
बगल के घर की
गली में सँभाल कर
भी जरूर आती थी
झाड़ू देने वाली
नगरपालिका की
दिहाड़ी मजदूर
अपने वेतन से बस
झाड़ू ही तो एक
खरीद पाती थी
झाड़ू क्राँति के
आ जाने से उसका
भी लगता है कुछ
जीने का मकसद
कम से कम आज
तो हो ही गया
झाड़ू उसके हाथ का
तेरे नाम पर आज
लगता है जैसे एक
स्वतंत्रता की जंग
करता हुआ यहाँ
तक पहुँच कर
शहीद हो गया
केजरीवाल नहीं
भुना पाया झाड़ू को
झाड़ू सोच सोचकर
भी कई सालों तक
गलती कहाँ हुई थी
उससे आज बहुत
बारीकी से देखने से
उसे भी लगता है
कुछ ना कुछ
महसूस हो गया
छाती पीट रहा होगा
आज नोचते हुऐ
अपने सिर के बालों को
झाड़ू नीचे करने के
बदले हाथ में लेकर
ऊपर को करके
क्यों खड़ा हो गया
चिंतन करना ये तो
अब वाकई बहुत ही
जरूरी जैसा हो गया
बहुत सी चीजें काम
की हैं कुछ ही के लिये
और बेकाम की
हैं सबके लिये
ये सोचना अब
सही बिल्कुल भी
नहीं रह गया
इस साल दायें
हाथ में झाड़ू ने
दिखाया है कमाल
अगले साल देख लेना
बापू तेरा लोटा भी
लोगों के शौचालय
से निकल कर
बेपेंदी लुढ़कना छोड़
बायें हाथ में आकर
आदमी के
झाड़ू की तरह
झाड़ू के साथ
कंधे से कंधा मिला
कर आदमी का
एक नेता हो गया
जो भी हुआ है
अच्छा हुआ है
बाहर की सफाई
धुलाई के लिये
‘उलूक’ तेरे लिये
अपने अंदर की
गंदगी को सफाई से
अपने अंदर ही
छुपा के रख लेने का
एक और अच्छा
जुगाड़ जरूर हो गया
बापू तू अपने चश्में
और लाठी का रखना
सावधानी से
अब खयाल
और मत कह बैठना
अगले ही साल
चुरा लिया किसी
बहुत बड़े ने
बड़ी होशियार से
और तू चोर चोर
चिल्लाने के लायक
भी नहीं रह गया ।
चित्र साभार: http://vedvyazz.blogspot.in/2011/01/of-service-and-servitude_17.html
आज जन्मदिन
और मेरा भी
हर साल होता था
इस साल भी हो गया
पिछले सालों में
कभी भी नहीं
हो पाया वैसा
जैसा आज
कुछ कुछ ही नहीं
बहुत कुछ होना
जैसा हो गया
बापू तेरा हुआ
होगा कभी
या नहीं भी
हुआ होगा
पर मेरा दिल तो
आज क्या बताऊँ तुझे
झिझक रहा हूँ बताने में
झाड़ू झाड़ू होते होते
पूरा का पूरा बस
झाड़ूमय हो गया
झाडू लगाती थी
कामवाली घर पर
रोज ही लगाती थी
मेरे घर का कूड़ा
बगल के घर की
गली में सँभाल कर
भी जरूर आती थी
झाड़ू देने वाली
नगरपालिका की
दिहाड़ी मजदूर
अपने वेतन से बस
झाड़ू ही तो एक
खरीद पाती थी
झाड़ू क्राँति के
आ जाने से उसका
भी लगता है कुछ
जीने का मकसद
कम से कम आज
तो हो ही गया
झाड़ू उसके हाथ का
तेरे नाम पर आज
लगता है जैसे एक
स्वतंत्रता की जंग
करता हुआ यहाँ
तक पहुँच कर
शहीद हो गया
केजरीवाल नहीं
भुना पाया झाड़ू को
झाड़ू सोच सोचकर
भी कई सालों तक
गलती कहाँ हुई थी
उससे आज बहुत
बारीकी से देखने से
उसे भी लगता है
कुछ ना कुछ
महसूस हो गया
छाती पीट रहा होगा
आज नोचते हुऐ
अपने सिर के बालों को
झाड़ू नीचे करने के
बदले हाथ में लेकर
ऊपर को करके
क्यों खड़ा हो गया
चिंतन करना ये तो
अब वाकई बहुत ही
जरूरी जैसा हो गया
बहुत सी चीजें काम
की हैं कुछ ही के लिये
और बेकाम की
हैं सबके लिये
ये सोचना अब
सही बिल्कुल भी
नहीं रह गया
इस साल दायें
हाथ में झाड़ू ने
दिखाया है कमाल
अगले साल देख लेना
बापू तेरा लोटा भी
लोगों के शौचालय
से निकल कर
बेपेंदी लुढ़कना छोड़
बायें हाथ में आकर
आदमी के
झाड़ू की तरह
झाड़ू के साथ
कंधे से कंधा मिला
कर आदमी का
एक नेता हो गया
जो भी हुआ है
अच्छा हुआ है
बाहर की सफाई
धुलाई के लिये
‘उलूक’ तेरे लिये
अपने अंदर की
गंदगी को सफाई से
अपने अंदर ही
छुपा के रख लेने का
एक और अच्छा
जुगाड़ जरूर हो गया
बापू तू अपने चश्में
और लाठी का रखना
सावधानी से
अब खयाल
और मत कह बैठना
अगले ही साल
चुरा लिया किसी
बहुत बड़े ने
बड़ी होशियार से
और तू चोर चोर
चिल्लाने के लायक
भी नहीं रह गया ।
चित्र साभार: http://vedvyazz.blogspot.in/2011/01/of-service-and-servitude_17.html