उलूक टाइम्स

रविवार, 5 अप्रैल 2015

शेर के लिये तो एक शेर से ही काम चल जाता है

पता चल
जाता है
और
अच्छा भी है

वो
आता जाता है
पर पढ़ने
के लिये नहीं

बस ये
देखने के लिये
कि आखिर
रोज रोज
यहाँ पर ऐसा
क्या कुछ
लिखा जाता है

अब ऐसा
भी नहीं
लिखता है कोई

पढ़ते ही
चल जाये पता
कि लिखा
क्या जाता है

लिखा जाता है
उसके लिये ही

जो भी
जैसा भी
जहाँ भी
जितना भी
लिखा जाता है

जानता है
वो भी अच्छी
तरह से ये

किसलिये
कहाँ और क्या
लिखा जाता है

परेशानी
होती है
केवल
उसको
ये देखकर

बस एक
और
केवल
एक ही

शेर जैसा
कुछ लिखा
जाता है

शेर भी
लिखा जाता है
उसके
शेर होने पर
लिखा जाता है

खुश होता है
या नहीं
ये बस
पता नहीं
किसी को
चल पाता है

‘उलूक’
शेर तो
शेर होता है
कुछ करे
या ना करे

दहाड़ने
से ही
एक बार
एक दिन में
बहुत कुछ
हो ही जाता है

बस बात
ये समझना
दिमाग से
कुछ बाहर को
चला जाता है

शेर पर
लिखे गये
शेर को
पढ़ पढ़ कर

एक चूहा
अपनी
झुँझुलाहट
दिखा कर
नाराजगी
व्यक्त
आँखिर क्यों
कर के जाता है ?

चित्र साभार: martanime.deviantart.com