उलूक टाइम्स

सोमवार, 8 जून 2015

परेशानी तब होती है जब बंदर मदारी मदारी खेलना शुरु हो जाता है

मदारी को इतना
मजा आता है
जैसे एक पूरी
बोतल का नशा
हो जाता है
जब वो अपने
बंदर को सामने
वाले के सिर पर
चढ़ कर
जनता के बीच में
उसकी टोपी
उतरवाना सिखाता है
बालों पर लटक
कर नीचे उतरना
कंधे पर चढ़ कर
कानों में खों खों करना
देखते ही मदारी के
चेहरे की रंगत में
रंग आ जाता है
जब पाला पोसा हुआ
बंदर खीसें निपोरते हुऐ
गंजे के सिर में
तबला बजाता है
मदारी खुद सीखता
भी है सिखाना
अपने ही आसपास से
सब कुछ देख देख कर
बड़े मदारी की हरकतों को
कैसे बंदरों के कंधों में
हाथ रख रख कर
अपने लिये बड़ा मदारी
बंदरों से अपने सारे
काम निकलवाता है
काम निकलते ही
बंदरों को भगाने के लिये
दूसरे पाले हुऐ बंदरों से
हाँका लगवाता है
सब से ज्यादा मजा तो
आइंस्टाइन को आता है
सामने के चौखट पर
खड़े होकर जब वो खुद
एक प्रेक्षक बन जाता है
'जय हो सापेक्षता के
सिद्धाँत की' उस समय
अनायास ही जबान से
निकल जाता है जब
एक मदारी के सर पर ही
उसका सिखाया पाल पोसा
चढ़ाया हुआ बंदर
उसके ही बाल नोचता
नजर आता है ।



चित्र साभार: jebrail.blogfa.com