उलूक टाइम्स

गुरुवार, 11 जून 2015

कीचड़ करना जरूरी है कमल के लिये ये नहीं सोच रहा होता है

जब सोच ही
अंधी हो जाती है
सारी दुनियाँ
अपनी जैसी ही
नजर आती है

अफसोस भी
होता है
कोई कैसे किसी
के लिये कुछ
भी सोच देता है

किसी के काम
करने का कोई
ना कोई मकसद
जरूर होता है

उसकी नजर होती है
उसकी सोच होती है

बुरा कोई भी
नहीं होता है
जो कुछ भी होता है
अच्छे के लिये होता है

कुछ भी किसी
के लिये भी
किसी समय भी
कहने से पहले
कोई क्यों नहीं
थोड़ा सोच लेता है

एक उल्टा
लटका हुआ
चमगादड़ भी
उल्टा ही
नहीं होता है

वो भी
सामने वाले सीधे को
उल्टा हो कर ही
देख रहा होता है

‘उलूक’
तेरे लिये
तेरे आस पास
हर कोई गंदगी
बिखेर रहा होता है

सब के चेहरे पे
मुस्कान होती है
देखने वाला भी
खुश हो रहा होता है

बस यहीं पर पता
चल रहा होता है
एक अंधी सोच वाला
अंधेरे को बेकार ही में
कोस रहा होता है

जबकि गंदगी
और कीचड़
बटोरने वाला
हर कोई
आने वाले
समय में कमल
खिलाने की
सोच रहा होता है ।

चित्र साभार: www.cliparthut.com