एकदम
अचानक
अनायास
परिपक्व
हो जाते हैं
कुछ मासूम
चेहरे अपने
आस पास के
फूलों के
पौंधों को
गुलाब के
पेड़ में
बदलता
देखना
कुछ देर
के लिये
अचम्भित
जरूर
करता है
जिंदगी
रोज ही
सिखाती
है कुछ
ना कुछ
इतना कुछ
जितना याद
रह ही नहीं
सकता है
फिर कहीं
किसी एक
मोड़ पर
चुभता है
एक और
काँटा
निकाल कर
दूर करना
ही पड़ता है
खून की
एक लाल
बून्द डराती
नहीं है
पीड़ा काँटा
चुभने की
नहीं होती है
आभास
होता है
लगातार
सीखना
जरूरी
होता है
भेदना
शरीर को
हौले हौले
आदत डाल
लेने के लिये
रूह में
कभी करे
कोई घाव
भीतर से
पता चले
कोई रूह
बन कर
बैठ जाये
अन्दर
दीमक
हो जाये
उथले पानी
के शीशों
की
मरीचिकायें
धोखा देती
अचानक
अनायास
परिपक्व
हो जाते हैं
कुछ मासूम
चेहरे अपने
आस पास के
फूलों के
पौंधों को
गुलाब के
पेड़ में
बदलता
देखना
कुछ देर
के लिये
अचम्भित
जरूर
करता है
जिंदगी
रोज ही
सिखाती
है कुछ
ना कुछ
इतना कुछ
जितना याद
रह ही नहीं
सकता है
फिर कहीं
किसी एक
मोड़ पर
चुभता है
एक और
काँटा
निकाल कर
दूर करना
ही पड़ता है
खून की
एक लाल
बून्द डराती
नहीं है
पीड़ा काँटा
चुभने की
नहीं होती है
आभास
होता है
लगातार
सीखना
जरूरी
होता है
भेदना
शरीर को
हौले हौले
आदत डाल
लेने के लिये
रूह में
कभी करे
कोई घाव
भीतर से
पता चले
कोई रूह
बन कर
बैठ जाये
अन्दर
दीमक
हो जाये
उथले पानी
के शीशों
की
मरीचिकायें
धोखा देती
ही हैं
आदमी
आदमी
ही है
अपनी
औकात
समझना
जरूरी है
'उलूक'
कल फिर
ठहरेगा
कुछ देर
के लिये
पानी
तालाब में
मिट्टी
बैठ लेगी
दिखने
लगेगें
चाँद तारे
सूरज
सभी
बारिश
होने तक ।
चित्र साभार: Free Clip art
आदमी
आदमी
ही है
अपनी
औकात
समझना
जरूरी है
'उलूक'
कल फिर
ठहरेगा
कुछ देर
के लिये
पानी
तालाब में
मिट्टी
बैठ लेगी
दिखने
लगेगें
चाँद तारे
सूरज
सभी
बारिश
होने तक ।
चित्र साभार: Free Clip art