उलूक टाइम्स

शनिवार, 22 अगस्त 2015

सच कभी अपने झूठ नहीं कहता है

ऐसा
नहीं होता है

ऐसा भी होता है

सारे
सचों को
सच सच
कह देने का भी
कभी कभी
मन होता है

रोज ही
झूठ बोलने से
जायका भी
खराब होता है

सब रखते हैं
अपने अपने
सबके सामने से

उसमें क्या सच
क्या झूठ होता है

किसी
को कुछ
पता होता है
किसी को कुछ
पता नहीं होता है

ऐसा भी
नहीं होता है
खुद का सच
खुद को ही
पता नहीं होता है

कौन सा सच
सच होता है
कौन सा सच
झूठ होता है
कौन सा झूठ
सच होता है
कौन सा झूठ
झूठ होता है

सोच कर
देख ‘उलूक’
किसी दिन

दुनियाँ
दिखाती है
बहुत कुछ
दिखाती है

उसमें
कितना कुछ
बहुत कुछ होता है

कितना कुछ
कुछ भी नहीं होता है

जो कुछ भी
कहीं भी
नहीं देखता है

जो कुछ भी
कभी भी
नहीं सोचता है

आज
सब से आगे
बस वही और
वही होता है

सच
और झूठ के
चक्कर में पड़ना

इस जमाने में
वैसे भी ठीक
नहीं होता है ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com