उलूक टाइम्स

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

बेचिये जो भी बिक सकता है और जो तैयार है

पिछले
महीने से

निकल रहे हैं
जलूस
मेरे शहर में

क्यों निकल
रहे हैं
कोई पूछने
वाला नहीं है

ना ही कोई
अखबार में
कोई खबर है

जिलाधीश भी
सो रहा है
थानेदार भी
बहुत होशियार है

निमंत्रण मिला है
मुजफ्फर नगर
काण्ड के
खलनायकों पर
बहस करने का

बहुत पुरानी बात
हो गई है सुनने को
अभी की बात
को कौन तैयार है

नहीं देखा
मंजर इस तरह का
अभी तक की
जिंदगी में कभी

लोग कह रहे हैं
अच्छे दिन हैं
अच्छी बयार है

बुलाया गया है
निमंत्रण भी है
मुजफ्फर नगर
काण्ड के खलनायक
व उत्तराखण्ड पर
बहस के लिये

बतायें जरा अपने
घर के काण्डों पर
बात करने को
कौन तैयार है

माना कि
‘उलूक’
को अंधों मे
गिना जाता है

फिर भी
दिखता है
कोने से कहीं
उसको भी कुछ

कहना ही है
मानकर
कि कहना है
और कहना
भी बेकार है।

चित्र साभार: www.anninvitation.com