उलूक टाइम्स

रविवार, 28 अप्रैल 2024

ईसा मसीह भी है की खबर पता नहीं कहाँ है नहीं आती है


बहुत ही छोटी सी बात है समझ में नहीं आती है
प्राथमिकताएं हैं लेखन में हैं सब की नजर आती हैं

जो कुछ भी है कुछ अजीब है बस तेरे ही आस पास ही है
बाकी सब के आस पास बस जन्नत है की खबर आती है

सब की खुशी में अपनी खुशी है होनी ही चाहिए
सारे खुशी से लिखते हैं खुशी लिखे में है नजर भी आती है

खुदा सब की खैर करे भगवान भी देखें सब ठीक हो
ईसा मसीह भी है की खबर पता नहीं कहाँ है कहीं से भी नहीं आती है

‘उलूक’ सब के दिमाग हैं सही हैं अपनी ही जगह पर हैं
बस तेरे लिखे में ही है कुछ सीलन सी नजर आती है

चित्र साभार: https://www.biography.com/

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

खा गालियाँ गिन नाले बनते बड़े छोटी होती नालियों से क्या उलझना

 

१९४७ और उससे पहले का देखा नहीं कुछ भी कही
बस कुछ पढ़ा कुछ सुना
किससे सुना ये ही मत पूछ बैठना
दिखा बना बैठा कुछ तुनतुना कुछ भुनभुना

नहीं देखा ना सुना जैसा है आसपास अभी अपने
तू गीत तरन्नुम में गा गुनगुना
लिखे में तेरे दिख रहा है साफ़ साफ़
कहीं तो बटा है और इफरात में झुनझुना

शब्द आते हैं जुबां तक बहुत ही सड़े गले
सारे रोक ले कुछ भी मत सुना
निगल ले गरल बन शिव कर तांडव घर के अन्दर
बस बाहर ना निकलना

कुत्ते को सिखा योग और आसन
खुद सीख ले कुछ काटना कुछ भौंकना
भगवान में ढूंढ थोड़ा सा आदमी और सीख ले
आदमी में भगवान को चेपना

‘उलूक’ हो जो भी दिखा कुछ और ही
सबसे बड़ा है आज का लपेटना
खा गालियाँ गिन नाले बनते बड़े
छोटी होती नालियों से क्या उलझना

चित्र साभार: https://www.alamy.com/

शनिवार, 20 अप्रैल 2024

शाबाश है ‘उलूक’ खबरची की खबर पर वाह कह के मगर जरूर आता है

 

किससे कहें क्या कहें
यहाँ तो कुछ भी समझ में ही नहीं आता है
ढूंढना शुरू करते हैं
जहां कोई भी अपना जैसा नजर नहीं आता है

सोच में तेरी ही कुछ खोट है ऐसा कुछ लगता है
सबका तुझे टेढ़ा देखना बताता है
सामने वाला हर एक सोचता है अपनी सोच
तुझे छोड़ हर कोई तालियाँ बजाता है  

मतदान करने की बातें सब ने की बहुत की
वोट देने की शपथ लेना दिखाता है
लोग घर से ही नहीं निकले जुखाम हो गया था
ऐसे में वोट देने कौन जाता है

परिवार के लोग ही नहीं दिखे
व्यस्त होंगे प्रचार में कहीं
अपना क्या जाता है
मतदान करवाने वालों की मजबूरी थी
कहना ही था ये भी आता है वो भी आता है

खबर मेरी थी मैंने बुलाये थे मीडिया वाले
चाय नाश्ता कराने में क्या जाता  है
छपा बहुत कुछ था घर की फोटो के साथ था
बस मैं ही नहीं था तो क्या हो जाता है

खबर देते हैं
जाने माने खबरची दुनिया जहां की
अपने घर में बैठ कर समझ में आता है

 वाह रे ‘उलूक’
तेरे घर तेरे शहर में हो रहे को तू देखता है
और अपना मुंह छुपाता है

 शाबाश है खबरचियों की ओर से
खबरची की खबर पर
वाह कह के मगर जरूर आता है

चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/