उलूक टाइम्स

शनिवार, 28 जनवरी 2012

चुनाव नहीं ये युद्ध है

नजारे बदलते
जा रहे हैं
हम जो थे
वो अब शायद
नजर नहीं
आ रहे हैं
प्रशाशन को
हम पर कितना
भरोसा है
वो हमारे पहाडी़
राज्य की
शांत वादियों
में गूंजती हुवी
अत्याधुनिक शस्त्रों
से सुसज्जित
अर्ध सैनिक बलों
के फ्लैग मार्च से
होने वाली की
बूटों की आवाज
से हमें
बता रहे हैं
हम अब वोटर
कहाँ रह गये
लगता है
आतंकवादी
होते जा रहे हैं
तीस जनवरी को
हम देते हैं
जिस देश में
महात्मा गांंधी
को श्रद्धांजलि
वो दिन चुनाव
का दिन नहीं
रह गया है
हम शायद
अपनो के बीच
अपनों से ही
कोई युद्ध
करने जा
रहे हैं।

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

इंतजार

पाँच दिन बाद
सबकुछ पहले
जैसा लगता है
हो जायेगा
आम आदमी
हो रही चिल्ल पौं
से थोड़ा राहत
जरूर पायेगा
छटे दिन से
भविष्यवाणी
का गणित
शुरू कर
दिया जायेगा
अंगुली पर लगी
स्याही को मिटाने
में लग जायेगा
वोटर तो
सब कुछ
उसके बाद
भूल जायेगा
चुनाव आयोग
का फूल बंद
होना शुरू हो
जायेगा
कली बनेगा
एक फिर
वापस खोल में
चला जायेगा
बचा एक
और महीना
बहुतों के
खून सुखायेगा
अन्ना का
स्वास्थ भी
तब तक
ठीक हो जायेगा।

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

चुनाव और आदमी का प्रतिशत

हर बार
की तरह
इस बार
भी
दिखा रहा है
आज का
अखबार भी

चुनाव की
बेला पर
जाति
समीकरण
का
समाचार भी

बिना
इसके
चुनाव
हमेशा
अधूरा रह
जाता है

आदमी का
समीकरण
इन सब
में विलीन
हो कर
खो जाता है

हर जाति
का प्रतिशत
दिखाया
गया है
आज के
अखबार में
मीडिया
भी खूब
भटकाती
रही है
इस
तरह के
समाचार में

आदमी
का प्रतिशत
आज तक
क्यों नहीं
छप पाया
किसी भी
समाचार में

कैसे
बताये कोई
जब
भेजते हैं ये
वोट देने
जातियों को
जातियों के लिये
हर सरकार में

आदमी
जिस दिन
वोट देने पर
उतर आयेगा

जाति
समीकरण
इंसानियत
की किताब
में कहीं
खो जायेगा

जीतने
हारने वाला
सिर्फ आदमी
हो जायेगा

पढे़ लिखे
लोगों का
मुंह तब बंद
हो जायेगा

आदमी का
प्रतिशत
वाकई में
उस दिन
पूरा सौ
हो जायेगा।

सोमवार, 23 जनवरी 2012

मास्टर और वोट

वोटिंग के बचे
अब दिन नौ
सड़क पर भी
बढ़ गयी है
बहुत पौं पौं।

राष्ट्रीय पार्टी 'क' में
घुसे हुवे मेरे मित्र 'च'
पूछे मेरे मित्र 'छ' से
जो पार्टी 'ख' में बहुत
ही माने जाते हैं
स्टार प्रचारक के रूप में
भी पहचाने जाते हैं
भाई जरा बताओ
थोड़ा अंदाज लगाओ
कहां गिरा रहे हैं
मास्टर साहब
अपना एक वोट
'छ' जी मुस्कुराये
फिर भाई 'च'
को समझाये
मास्टर लोग
पढे़ लिखे माने
जाते हैं
वहुत सोच समझ
हिसाब से ही
अपना वोट
गिराते हैं
तुम्हें क्यों
नजर आ रहा
है उनकी नजर
में खोट।
मियां 'च'
ने कहकहा लगाया
'छ' जी को
फिर फुसफुसा
के बताया
राजनीतिज्ञ हैं
आप हम मानते हैं
अर्से से आपकी
काबीलियत सभी
पहचानते हैं
पर आप इन मास्टरों
को कहां जानते हैं
पढे़ लिखों की दुविधा
कहां करेगी चोट
पैराशूट लगा कर
जब गिरायेंगे ये वोट
कुछ मास्टर यहां आते हैं
क्या यहां डालेंगे वोट
कुछ मास्टर वहां
भी देखे जाते हैं
क्या वहां डालेंगे वोट
जो मास्टर कहीं नहीं
दिख रहे हैं
कैसे पता लगाओगे
कहाँ डालेंगे अपना
कीमती वोट ।

रविवार, 22 जनवरी 2012

नेता और हैलीकौप्टर

पहाड़ी गांव में
स्कूल हस्पताल
अब रहने दो
मत ही बनाओ
टीचर डाक्टर
कुछ वहां जो
मजबूरी में
आ ही जाते थे
तैनाती उनकी भी
अब मत करवाओ
छोटी मोटी जरूरत
की चीजें भी गांव
वालों को दिलवाने की
अब जरूरत नहीं है
पहाड़ी गांवों से
हो रहा है पलायन
किसी को भी
अब मत बताओ
पहाड़ के गांव का
एक माडल मेरे
खाली दिमाग में
पता नहीं कहां से
आ रहा है
उसे प्रयोग में लाओ
और मेरा एक वोट
ले के जाओ
बता रहा हूँ
अभी के अभी
गोबर के अंदर ये
आईडिया मेरे दिमाग
में कहां से घुस आया
कल जब खंण्डूरी
एक हैलीकौप्टर लेकर
मेरे शहर के आसमान
में मडराया
आज वही तमाशा
दो हैलीकौप्टर के सांथ
सोनिया ने भी दोहराया
पिछली आपदा ने अधिकतर
पहाड़ी मार्गों को
जब से है बहाया
कोई भी नेता मेरे शहर में
सड़क के रास्ते घुसने से
बहुत ही घबराया
लेकिन ये मेरी समझ
में अब है आया
लोग तो लोग
कोई भी प्रतिनिधी
इस मामले को सामने
क्यों नहीं लाया
शायद विकास अब
पहाड़ का होने ही
वाला है
इलेक्शन होते ही
एक एक गांव
यहां का
एक एक हैलीपैड
पाने वाला है
फिर कुछ भी जरूरी
नहीं रह जायेगा
पाँच साल मे एक बार नहीं
हर समय पहाडों के
उपर हैलीकौप्टर मडरायेगा
पहाड़ी गांव का वासी
सब कुछ ही पा जायेगा
पलायन भी नहीं होगा
एक हैलीकौप्टर उड़ायेगा
दो घंटे में अपने को
देश की राजधानी में पायेगा
जो मर्जी में आयेगा
वो सब कर ले जायेगा।