उलूक टाइम्स: नजर
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बुधवार, 6 दिसंबर 2017

समय ही इश्क हो लेता है समय से जब इश्क होता है

ऐसा नहीं है कि
नहीं लिखे गये
कभी कुछ शब्द
इश्क पर भी

ऐसा भी नहीं है
कि इश्क अब
लिखने का मौजू
रहा ही नहीं है

इश्क बुढ़ाता है
कहा जाना भी
ठीक नहीं है

हाँ बदल लेता है
इश्क नजरिया अपना

उम्र ढलने के साथ
कमजोर होती
जाती है जैसे आँख

दिखता नहीं है
चाँद भी
उतना सुन्दर
तारे गिने भी
नहीं जाते हैं जब
बैठे हुऐ छत पर
रात के समय
अन्धेरे से
बातें करते करते

बहुत कुछ होता है
आस पास ही अपने
फैला हुआ
समेटने के लिये

खुद 
अपने लिये
कुछ कौढ़ियाँ
जमा कर
गिनते गिनते
गिनना भूल जाना
भी इश्क होता है

उम्र बदलती है
नजर बदलती है
इश्क भी
बदल लेता है

तितलियों
फूल पत्तियों
इंद्रधनुष
बादल कोहरे
पहाड़ बर्फ
नदी नालों
से होते हुऐ
इश्क
मुड़ जाता है

कब किस समय
पहाड़ी पगडंडियों
से अचानक उतर कर
बियाबान भीड़ में
अपने जैसे कई
मुखौटों से खेलते
चेहरों के बीच

पता चलता है तब
जब कहने लगती हैं
हवायें भी
फुसफुसाती हुई
इश्क इश्क
और
याद आने शुरु होते हैं
फिर से ‘उलूक’ को

जलाये गये
किसी जमाने में
इश्क से भरे
दिवाने से मुढ़े तुढ़े
ढेरी बने कुछ कागज

कुछ डायरियाँ
थोड़े से सूखे हुऐ
कुछ फूल
कुछ पत्तियाँ

और धुँधली सी
नजर आना
शुरु होती है
उसी समय
इश्क के कागज
से बनी एक नाव

तैरते हुऐ
निकल लेती है
जो बरसाती नाले में
और
बचा रह जाता है
गंदला सा
मिट्टी मिट्टी पानी

लिखने के लिये
बहता हुआ
थोड़ा सा
कुछ इश्क
समय के साथ ।

चित्र साभार: business2community.com

बुधवार, 27 अगस्त 2014

नजर टिक जाती है बहुत देर तक अंजाने में किसी की डायरी के एक पन्ने में बस यूँ ही कभी

 
ढूँढना
शुरु करना कभी कुछ 
थोड़ी देर देखने भर के लिये 
खुद को अपने ही आस पास से हटा कर 
दूर ले जाने की मँशा के साथ भटकते भटकते 

रुकते हुऐ
कदम किसी के पन्ने पर 
बस इतना सोच कर कि ठीक नहीं
रोज अपनी ही बात को लेकर खड़े हो जाना 

दर्द बहुत हैं बिखरे हुऐ
गुलाबों की सुर्ख पत्तियों से जैसे ढके हुऐ 
बहुत कुछ है यहाँ
पता लगता भी है 

कहीं किसी मोड़ पर आकर
मुड़ा हुआ पन्ना किसी किताब का
रोक लेता है कदमों को 
और नजर
गुजरती किसी लाईन के बीच 
पता चलता है खोया हुआ किसी का समय

और 
रुकी हुई घड़ी
जैसे इंतजार में हो
किसी के लौटने के आने की खबर के लिये 

जानते बूझते
किसी के चले जाने की 
एक सच्ची बहुत दूर से आई और गयी
खबर के झूठ हो जाने की आस में 

अपने गम
बहुत हल्के होते हुऐ
तैरते नजर आना शुरु होते हैं
और नम कर देते हैं आँखो को एक आह के साथ

जो निकलती है
एक दुआ के साथ दिल से 
खोये हुऐ के सभी अपनों के लिये । 

चित्र साभार:  http://apiemistika.lt/ 

सोमवार, 23 जनवरी 2012

मास्टर और वोट

वोटिंग के बचे
अब दिन नौ
सड़क पर भी
बढ़ गयी है
बहुत पौं पौं।

राष्ट्रीय पार्टी 'क' में
घुसे हुवे मेरे मित्र 'च'
पूछे मेरे मित्र 'छ' से
जो पार्टी 'ख' में बहुत
ही माने जाते हैं
स्टार प्रचारक के रूप में
भी पहचाने जाते हैं
भाई जरा बताओ
थोड़ा अंदाज लगाओ
कहां गिरा रहे हैं
मास्टर साहब
अपना एक वोट
'छ' जी मुस्कुराये
फिर भाई 'च'
को समझाये
मास्टर लोग
पढे़ लिखे माने
जाते हैं
वहुत सोच समझ
हिसाब से ही
अपना वोट
गिराते हैं
तुम्हें क्यों
नजर आ रहा
है उनकी नजर
में खोट।
मियां 'च'
ने कहकहा लगाया
'छ' जी को
फिर फुसफुसा
के बताया
राजनीतिज्ञ हैं
आप हम मानते हैं
अर्से से आपकी
काबीलियत सभी
पहचानते हैं
पर आप इन मास्टरों
को कहां जानते हैं
पढे़ लिखों की दुविधा
कहां करेगी चोट
पैराशूट लगा कर
जब गिरायेंगे ये वोट
कुछ मास्टर यहां आते हैं
क्या यहां डालेंगे वोट
कुछ मास्टर वहां
भी देखे जाते हैं
क्या वहां डालेंगे वोट
जो मास्टर कहीं नहीं
दिख रहे हैं
कैसे पता लगाओगे
कहाँ डालेंगे अपना
कीमती वोट ।

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

दोस्त

आईना क्यों
नहीं दिखाता
मेरा सच मुझे
उसे देखने
के लिये
कहां से लाऊं
मैं तुम्हारी
पैनी नजर
आईना मेरा
दोस्त तो कभी
नहीं रहा
फिर भी
उसने कभी
नहीं दिखाया
मुझे मेरे अंदर
का हैवान
मैने सोचा
आईना दिखाता
है हमेशा सच
तुम्हारी पैनी
नजर बड़ी
कमाल की
है मेरे दोस्त
जो मेरा
आईना कभी
नहीं देख
पाया मेरे
अंदर छुपा
तुमने देख
ही डाला
अपनी इस
बाजीगरी को
देश के नाम
कर डालो
और दिखा,
दो दुनिया को
सारे वो सच
जो सामने
नहीं आते
किसी के
कभी भी
तुम्हें देख
कर छुप
नहीं पाते
आओ कुछ
करो देश
के लिये
मेरे तो झूट
बहुत छोटे हैं
इस देश
के सामने।

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

आईना

आज एक लम्बे
अर्से के बाद
पता नहीं कैसे मैं
जा बैठा घर के
आईने के सामने
मेरे दिमाग की तरह
आईने ने कोई अक्स
नहीं दिखलाया
मैं थोड़ा घबराया
नजर को फिराया
सामने कैलेण्डर में
तो सब नजर
आ रहा था
तो ये आईना
मुझसे मुझको
क्यों छिपा रहा था
सोचा किसी को बुलाउं
आईना टेस्ट करवाउं
बस कुता भौंकता
हुवा आया थोडा़ ठहरा
फिर गुर्राया जब
उसने अपने को आईने
के अंदर भी पाया
मुझे लगा आईना
भी शायद समय
के सांथ बदल रहा होगा
इसी लिये कबाड़ का
प्रतिबिम्ब दिखाने से
बच रहा होगा
विज्ञान का हो भी
सकता है ऎसा
चमत्कार
जिन्दा चीजों का ही
बनाता हो आईना
इन दिनो प्रतिबिम्ब
और मरी हुवी चीजों
को देता हो चेतावनी
कि तुम अब नहीं हो
कुछ कर सकते हो
तो कर लो अविलम्ब।