उलूक टाइम्स

बुधवार, 9 नवंबर 2011

दौरा

एक गड्ढा
जो बहुत
दिनो से
बहुत
लोगो को
गिरा रहा था

आज शाम
पी डबल्यू डी
की फौज द्वारा
भरा जा रहा था

सारे अफसरों के
हाथ में झाडू़
तक दिखाई
दे रहे थे

होट मिक्स
हो रहे थे
रोलर तक
चलाये दे
रहे थे

पब्लिक की
समझ में
कुछ नहीं
आ रहा था

जिसको देखो
वो कुछ ना कुछ
अंदाज लगा
रहा था

अरे कल
उत्तराखंड
का बर्थडे है
एक बता
रहा था

डी ऎम की
कार तक
बेटाईम
खड़ी थी
माल रोड पर

किसी से पूछा
तो पता चला
वो भी शहर में
चक्कर लगा
रहा था

इतने में
"मोतिया"
हंसता
हुवा आ
रहा था

बड़े जोर
जोर से
ठहाके लगा
रहा था

पूछा तो
बोलता जा
रहा था

पागल मत
हो जाओ
गड्ढा ही तो
भरा जा
रहा है

सालों को
पता भी नहीं
कल मुख्यमंत्री
बाय रोड
आ रहा है ।

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

दंगे

नटखट
चूहे की
खटखट से
चौंक कर

लटपट
करते उठी

तुरंत फेंक
रजाई

चटपट गिरा
जमीन पर
दौड़ पड़ी
रसोई
की ओर

हुवी भी
नहीं थी भोर

अल्साये
अंधेरे में
मलते
हुवे आंख

भूल गयी
समय
की ओर
देखना भी

रोज
की तरह
चूल्हे पर
चाय की
केतली चढ़ा

जोर से
बड़बड़ाई

माचिस
की डिब्बी
को ढूंढते
खिड़की के
दरवाजे से
टकराई

हमेशा
की तरह
बाहर आयी

फिर
अचानक
बैठ गयी
दरवाजे पर

याद
आ गया
उसे फिर

कि

बेटा तो
दंगे की भेंट
चढ़ गया

किसी
और के
बेटे को
बचाते बचाते

और
सुबह की
चाय का पानी

खौलता रहा
केतली में ।

गांधी

गांंधी तेरी याद
हो गयी फिर
एक साल पुरानी
पिछले साल
थी आयी
फिर आ गयी
इस साल
कुछ फोटो
पोस्टर बिके
मूर्तियां धुली
धुली सी
मुस्कुरा रहा था
आज
फूल बेचने
वाला भी
दो अक्टूबर
बर्बाद हो गया
बच्चे कह रहे थे
मायूसी से
आज तो
रविवार हो गया
सुबह सुबह
उठकर
जाना पड़ा
झंडा धूल झाड़
फहराना पडा़
तब किये
सत्य पर प्रयोग
अब कोई
कैसे करे उपयोग
सत्य जैसे अब
खादी हो गया
आदमी जीन्स का
आदी हो गया
गांधी चले जाओ
अब शाम हो गयी
लाठी चश्मा घड़ी
तो नीलाम हो गयी
आ जाना
अगले साल
फिर से एक बार
नमस्कार जी
नमस्कार जी
नमस्कार ।