दिशा लेकर
चलता है
बस वो
एक ही
अकेला होता है
दिशाहीनो का
तो एक
मसीहा होता है
मेरे घर में
होता है और
ऎसा होता है
कहने को
हर कोई
बहुत कुछ
कहता है
जो करना ही
नहीं होता है
वही तो
वो कहता है
मेरी बात पर
तू कभी
कुछ नहीं
कहता है
तेरे घर में क्या
ये नहीं होता है
मेरे घर के
मुखिया को
सब पता होता है
जब भी
कुछ होता है
तो वो कहीं भी
नहीं होता है
देश में पल पल
जो हो रहा होता है
वही सब मेरे घर में
घट रहा होता है
कोई गांधी और
कोई गोडसे
की दुहाई दे
रहा होता है
कोई पटेल
के नाम का
लोहा ले
रहा होता है
जो जो कह
रहा होता है
वो कहीं नहीं
हो रहा होता है
मेरे घर में रोज
ऎसा ही हो
रहा होता है
तेरे घर में
बता भी दिया
कर कभी
क्या कुछ स्पेशल
हो रहा होता है
मैं रोज अपने घर
की बात करता हूँ
फिर भी तू
कुछ कहाँ कह
रहा होता है
मेरे देश में
कैसे मान लूं
कुछ अलग
हो रहा होता है
जब मेरे ही
घर में रोज
ऎसा ही हो
रहा होता है ।
चलता है
बस वो
एक ही
अकेला होता है
दिशाहीनो का
तो एक
मसीहा होता है
मेरे घर में
होता है और
ऎसा होता है
कहने को
हर कोई
बहुत कुछ
कहता है
जो करना ही
नहीं होता है
वही तो
वो कहता है
मेरी बात पर
तू कभी
कुछ नहीं
कहता है
तेरे घर में क्या
ये नहीं होता है
मेरे घर के
मुखिया को
सब पता होता है
जब भी
कुछ होता है
तो वो कहीं भी
नहीं होता है
देश में पल पल
जो हो रहा होता है
वही सब मेरे घर में
घट रहा होता है
कोई गांधी और
कोई गोडसे
की दुहाई दे
रहा होता है
कोई पटेल
के नाम का
लोहा ले
रहा होता है
जो जो कह
रहा होता है
वो कहीं नहीं
हो रहा होता है
मेरे घर में रोज
ऎसा ही हो
रहा होता है
तेरे घर में
बता भी दिया
कर कभी
क्या कुछ स्पेशल
हो रहा होता है
मैं रोज अपने घर
की बात करता हूँ
फिर भी तू
कुछ कहाँ कह
रहा होता है
मेरे देश में
कैसे मान लूं
कुछ अलग
हो रहा होता है
जब मेरे ही
घर में रोज
ऎसा ही हो
रहा होता है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शनिवार (15-06-2013) के (चर्चा मंचःअंक-1276) "मयंक का कोना" पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'