(तीन सौ पचासवीं
पोस्ट
जो हमेशा की तरह
एक सत्य घटना
पर आधारित है )
स्वीकृत
धन का
एक हिस्सा
कुछ
अलग तरह से
जिसको खर्च
किया जाता है
कंटिंजेन्सी
कहलाता है
गूगल ट्रांस्लेट
हिन्दी में जिसे
आकस्मिकता
होना बतलाता है
बहुत ज्यादा
पढ़ लिख लिया
पढ़ाना लिखाना
भी सीख लिया
हाय
किया तो
तूने क्या किया
जब तू
ये पूछने
के लिये जाता है
आक्स्मिक
व्यय को
कैसे और
किसमें
खर्च किया
जाता है
आकस्मिक
व्यय करने
के लिये
कुछ ऎडवांस
लिया जाता है
जिसका
मन में
आ गया तो
कभी बाद में
समायोजन
दे दिया जाता है
अब
कौन
तुझसे
पूछने
के लिये
आता है
कि तू
उस पैसे से
चाय जलेबी क्यों
खा ले जाता है
कर लिया कर
जो भी तेरे
मन में आता है
रसीद लेने
के लिये तो
स्टेशनरी
की दुकान में ही तो
जाता है
मत
सोचा कर
कि
किसी से
पूछने में
तेरा
क्या जाता है
अपने अपने
खर्च करने
के ढंग को
कोई खुल के
कहाँ बताता है
तेरे से
अगर
इतना छोटा सा
समायोजन
ही नहीं हो पाता है
तो काहे
तू इस प्रकार
की जिम्मेदारी
अपने कंधों
पर उठाता है
छि :
अफसोस
हो रहा है
मुझे तेरी
काबीलियत पर
एक
कंटिजेन्सी
को तक तू
जब ठिकाने
नहीं लगा पाता है ।
पोस्ट
जो हमेशा की तरह
एक सत्य घटना
पर आधारित है )
स्वीकृत
धन का
एक हिस्सा
कुछ
अलग तरह से
जिसको खर्च
किया जाता है
कंटिंजेन्सी
कहलाता है
गूगल ट्रांस्लेट
हिन्दी में जिसे
आकस्मिकता
होना बतलाता है
बहुत ज्यादा
पढ़ लिख लिया
पढ़ाना लिखाना
भी सीख लिया
हाय
किया तो
तूने क्या किया
जब तू
ये पूछने
के लिये जाता है
आक्स्मिक
व्यय को
कैसे और
किसमें
खर्च किया
जाता है
आकस्मिक
व्यय करने
के लिये
कुछ ऎडवांस
लिया जाता है
जिसका
मन में
आ गया तो
कभी बाद में
समायोजन
दे दिया जाता है
अब
कौन
तुझसे
पूछने
के लिये
आता है
कि तू
उस पैसे से
चाय जलेबी क्यों
खा ले जाता है
कर लिया कर
जो भी तेरे
मन में आता है
रसीद लेने
के लिये तो
स्टेशनरी
की दुकान में ही तो
जाता है
मत
सोचा कर
कि
किसी से
पूछने में
तेरा
क्या जाता है
अपने अपने
खर्च करने
के ढंग को
कोई खुल के
कहाँ बताता है
तेरे से
अगर
इतना छोटा सा
समायोजन
ही नहीं हो पाता है
तो काहे
तू इस प्रकार
की जिम्मेदारी
अपने कंधों
पर उठाता है
छि :
अफसोस
हो रहा है
मुझे तेरी
काबीलियत पर
एक
कंटिजेन्सी
को तक तू
जब ठिकाने
नहीं लगा पाता है ।
इसमें बाकी शब्द सारे हिडन हैं
जवाब देंहटाएंसिर्फ चाय जलेबी दिखाई दे रहे हैं
समोसा कहां रह गया
और पकौड़ा बेसन का
क्यों खो गया
मौसम तो बारिश जैसा
पर खाना एकदम
पतझड़ क्यों हो गया।
बहुत सुन्दर...३५०वीं पोस्ट की बधाई....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (14-06-2013) के "चलता जब मैं थक जाता हुँ" (चर्चा मंच-अंकः1272) पर भी होगी!
सादर...!
रविकर जी अभी व्यस्त हैं, इसलिए मंगलवार की चर्चा मैंने ही लगाई है।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
आपको बहुत-बहुत बधाई हो 350वीं पोस्ट की...!
जवाब देंहटाएंहर आफिस की कडुआ सचाई -बहुर दुन्दर प्रस्तुति
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