उलूक टाइम्स: कुछ भी कह देने वाला कहाँ रुकता है उसे आज भी कुछ कहना है

शनिवार, 17 मई 2014

कुछ भी कह देने वाला कहाँ रुकता है उसे आज भी कुछ कहना है

एक सपने बेचने
की नई दुकान का
उदघाटन होना है
सपने छाँटने के लिये
सपने बनाने वाले को
वहाँ पर जरूरी होना है
आँखे बंद भी होनी होगी
और नींद में भी होना है
दिन में सपने देखने
दिखाने वालों को
अपनी दुकाने अलग
जगह पर जाकर
दूर कहीं लगानी होंगी
खुली आँखों से सपने
देख लेने वालों को
उधर कहीं जा कर
ही बस खड़े होना है
अपने अपने सपने
सब को अपने आप
ही देखने होंग़े
अपने अपनो के सपनों
के लिये किसी से भी
कुछ नहीं कहना है
कई बरसों से सपनों
को देखने दिखाने के
काम में लगे हुऐ
लोगों के पास
अनुभव का प्रमाण
लिखे लिखाये कागज
में ही नहीं होना है
बात ही बात में
सपना बना के
हाथ में रख देने
की कला का प्रदर्शन
भी साथ में होना है
सपने पूरे कर देने
वालों के लिये दूर
कहीं किसी गली में
एक खिलौना है
सपने बनने बनाने
तक उनको छोड़िये
उनकी छाया को भी
सपनों की दुकान के
आस पास कहीं पर
भी नहीं होना है ।

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत रचना। बधाई

    google+ की वजह से सीधे ब्लॉग पे पहुँचने मे असुविधा होती है , और दूसरे आपके ब्लॉग मे "कॉमेंट" को प्रैस करने पर एक अलग पेज open हो जाता है ।

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    1. आभार । क्या बता सकते हैं कौन सा पेज खुल रहा है ? कृपया लिंक देख कर बतायें ।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (18-05-2014) को "पंक में खिला कमल" (चर्चा मंच-1615) (चर्चा मंच-1614) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. जैसे ये ज़िन्दगी जागी आँख़ों का ख़्वाब हो!!

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  4. जनता तो कभी कभी जागती है ,हमेश सोये रहती है सपने देखते रहती है ..सुन्दर रचना !
    latest post: रिस्ते !

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  5. वाह. बहुत सुन्दर रचना. आपके लेखन की शैली बहुत प्रभावित करती है. आपसे बहुत कुछ सीखने की कामना है. स्नेह की अपेक्षा के साथ सादर आभार.

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    1. आभारी हूँ अखिल । अपने आस पास के परिवेश से ही उठते हैं मुद्दे । जो महसूस होता है लिख देते हैं । खुद ही अभी बहुत कुछ सीखना है :)

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