इधर उधर रोज देख लेना
और कुछ कह देना कुछ पर
आसान है
अचानक सामने टपक पड़े
खुद पर उठे सवाल का
जवाब देना आसान नहीं है
जरूरी भी नहीं है प्रश्न कहीं हो
उसका उत्तर कहीं ना कहीं होना ही हो
उसका उत्तर कहीं ना कहीं होना ही हो
एक नहीं ढेर सारे अनुत्तरित प्रश्न
जिनका सामना नहीं किया जाता है
नहीं झेला जाता है
किनारे को कर दिया जाता है
कूड़ा कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है
कूड़ेदान के ढक्कन को फिर
कौन उठा कर उसमें झाँकना दुबारा चाहता है
जितनी जल्दी हो सके
कहीं किसी खाली जगह में फेंक देना ही
बेहतर विकल्प समझा जाता है
बेहतर विकल्प समझा जाता है
सड़ांध से बचने का एकमात्र तरीका
कहाँ फेंका जाये
निर्भर करता है
किस खाली जगह का उपयोग
ऐसे में कर लिया जाये
ऐसे में कर लिया जाये
बस यही खाली जगह या स्पेस
ही होता है एक बहुत मुश्किल प्रश्न
खुद के लिये जानबूझ कर अनदेखा किया हुआ
पर हमेशा नहीं होता है
उधड़ ही जाती है जिंदगी रास्ते में कभी यूँ ही
और खड़ा हो जाता है यही प्रश्न बन कर
एक बहुत बड़ी मुश्किल बहुत बड़ी मुसीबत
कहीं कुछ खाली जगह अपने आप के लिये
सोच लेना शुरु किया नहीं कि
दिखना शुरु हो जाती हैं कंटीली झाड़ियाँ
कूढ़े के ढेरों पर लटके हुऐ बेतरतीब
कंकरीट के जंगल जैसे
मकानों की फोटो प्रतिलिपियों से भरी हुई जगहें
हर तरफ चारों ओर
मकानों से झाँकती हुई कई जोड़ी आँखे
नंगा करने पर तुली हुई
जैसे खोज रही हों सब कुछ
कुछ संतुष्टी कुछ तृप्ति पाने के लिये
पता नहीं पर शायद होती होगी
किसी के पास कुछ
उसकी अपनी खाली जगह
उसके ही लिये
बस बिना सवालों के
काँटो की तार बाड़ से घिरी बंधन रहित
जहाँ से बिना किसी बहस के
उठा सके कोई
अपने लिये अपने ही समय को
मुट्टी में
जी भर के देखने के लिये
अपना प्रतिबिम्ब
पर मन को भी नंगा कर
उसके आरपार देख कर मजा लेने वाले
उसके आरपार देख कर मजा लेने वाले
लोगों से भरी इस दुनियाँ में
नहीं है सँभव होना
नहीं है सँभव होना
ऐसी कोई जगह जहाँ अतिक्रमण ना हो
यहाँ तक
जहाँ अपनी ही खाली जगह को
खुद ही घेर कर हमारी सोच
घुसी रहती है
दूसरों की खाली जगहों के पर्दे
उतार फेंकने के पूर जुगाड़ में
जोर शोर से ।
चित्र सभार: https://nl.pinterest.com/
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असमंजस में स्पेस की तलाश
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंशुभ संध्या होने को है
जवाब देंहटाएंअब गुंजाईश
बाकी नहीे है
जगह सब भर गई
बस देर हो गई
सो हो गई
अब भुगतो...
सादर....
आभार !
हटाएंबढ़िया सटीक लेखन सर धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार आशीष ।
हटाएंएक स्पेस पर इतना कुछ कह डाला आपने... हर पंक्ति सोचने पर विवश करती है.. जिसने सबसे अधिक ध्यान खींचा वो है मकानों की फ़ोटो-प्रतिलिपियाँ... साधुवाद!!
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सलिल जी ।
हटाएंनयी पुरानी हलचल का प्रयास है कि इस सुंदर रचना को अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
जवाब देंहटाएंजिससे रचना का संदेश सभी तक पहुंचे... इसी लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 29/05/2014 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
[चर्चाकार का नैतिक करतव्य है कि किसी की रचना लिंक करने से पूर्व वह उस रचना के रचनाकार को इस की सूचना अवश्य दे...]
सादर...
चर्चाकार कुलदीप ठाकुर
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आभार कुलदीप जी इस सम्मान के लिये ।
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन मिलिये नए मंत्रीमंडल से - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार शिवम ।
हटाएंबहुत सुन्दर लिखा है..
जवाब देंहटाएंआभार !
हटाएंसटीक लेखन .......
जवाब देंहटाएंआभार निवेदिता जी ।
हटाएंबहुत सटीक लिखा है सुशील जी..आभार
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंबहुत कुछ कह दिया मात्र स्पेस के लिए , आज जरुरी हो गया है स्पेस बनाना और पाना सुन्दर कृति सुशीलजी
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