कसमसाहट
नजर आना
शुरु हो गयी है
त्योहार नजदीक
जो आ गया है
अन्धों का ज्यादा
और बटेरों का कम
अपने अपने
अन्धों के लिये
लामबन्द होना
शुरु होना
लाजिमी है
बटेरों का
तू ना
अन्धा है
ना हो
पायेगा
बड़ी बड़ी
गोल आखें
और
उसपर
इस तरह
देखने की
आदत
जैसे बस
देखेगा
ही नहीं
मौका
मिले
तो घुस
भी पड़ेगा
बटेर होना
भी तेरी
किस्मत
में नहीं
होता तो
यहाँ लिखने
के बजाये
बैठा हुआ
किसी अन्धे
की गोद में
गुटर गुटर
कर रहा होता
अन्धों के
हाथ में बटेर
लग जाये या
बटेर खुद ही
चले जाये अन्धे
के हाथ में
मौज अन्धा
ही करेगा
बटेर त्यौहार
मना कर
इस मौसम का
अगले त्यौहार
के आने तक
अन्धों की
सही सलामती
के लिये बस
मालायें जपेगा
तू लगा रह
खेल देखने में
कौन सा अन्धा
इस बार की
अन्धी दौड़
को जीतेगा
कितनी बटेरों
की किस्मत
का फैसला
अभी करेगा
बटेरें हाथ में
जाने के लिये
बेकरार हैं
दिखना भी
शुरु हो गई हैं
अन्धों की आँखों
की परीक्षाएं
चल रही हैंं
जरा सा भनक
नहीं लगनी
चाहिये
थोड़ी सी भी
रोशनी के बचे
हुऐ होने की
एक भी आँख में
समझ लेना
अन्धो अच्छी
तरह से जरा
बटेर लपकने
के मौसम में
किसी दूसरे
अन्धे के लिये
बटेर पकड़
कर जमा
करने का
आदेश हाथ
में अन्धा
एक दे देगा
अन्धों का
त्योहार
बटेरों का
व्यवहार
कुछ नहीं
बदलने
वाला है
‘उलूक’
सब इसी
तरह से
ही चलेगा
तुझे मिला
तो है काम
दीवारें
पोतने
का यहाँ
तू भी
दो चार
लाईनेंं
काली
सफेद
खींचते हुए
पागलों
की तरह
अपने जैसे
दो चारों के
सिर
खुजलाने
के लिये
कुछ
ना कुछ
फालतू
रोज की
तरह का
कह देगा ।
चित्र साभार: The Blogger Times
नजर आना
शुरु हो गयी है
त्योहार नजदीक
जो आ गया है
अन्धों का ज्यादा
और बटेरों का कम
अपने अपने
अन्धों के लिये
लामबन्द होना
शुरु होना
लाजिमी है
बटेरों का
तू ना
अन्धा है
ना हो
पायेगा
बड़ी बड़ी
गोल आखें
और
उसपर
इस तरह
देखने की
आदत
जैसे बस
देखेगा
ही नहीं
मौका
मिले
तो घुस
भी पड़ेगा
बटेर होना
भी तेरी
किस्मत
में नहीं
होता तो
यहाँ लिखने
के बजाये
बैठा हुआ
किसी अन्धे
की गोद में
गुटर गुटर
कर रहा होता
अन्धों के
हाथ में बटेर
लग जाये या
बटेर खुद ही
चले जाये अन्धे
के हाथ में
मौज अन्धा
ही करेगा
बटेर त्यौहार
मना कर
इस मौसम का
अगले त्यौहार
के आने तक
अन्धों की
सही सलामती
के लिये बस
मालायें जपेगा
तू लगा रह
खेल देखने में
कौन सा अन्धा
इस बार की
अन्धी दौड़
को जीतेगा
कितनी बटेरों
की किस्मत
का फैसला
अभी करेगा
बटेरें हाथ में
जाने के लिये
बेकरार हैं
दिखना भी
शुरु हो गई हैं
अन्धों की आँखों
की परीक्षाएं
चल रही हैंं
जरा सा भनक
नहीं लगनी
चाहिये
थोड़ी सी भी
रोशनी के बचे
हुऐ होने की
एक भी आँख में
समझ लेना
अन्धो अच्छी
तरह से जरा
बटेर लपकने
के मौसम में
किसी दूसरे
अन्धे के लिये
बटेर पकड़
कर जमा
करने का
आदेश हाथ
में अन्धा
एक दे देगा
अन्धों का
त्योहार
बटेरों का
व्यवहार
कुछ नहीं
बदलने
वाला है
‘उलूक’
सब इसी
तरह से
ही चलेगा
तुझे मिला
तो है काम
दीवारें
पोतने
का यहाँ
तू भी
दो चार
लाईनेंं
काली
सफेद
खींचते हुए
पागलों
की तरह
अपने जैसे
दो चारों के
सिर
खुजलाने
के लिये
कुछ
ना कुछ
फालतू
रोज की
तरह का
कह देगा ।
चित्र साभार: The Blogger Times
Bahut khoob
जवाब देंहटाएंI am a Ayurvedic Doctor.
Cancer Treatment, Kidney Care and Treatment, HIV AIDS,