उलूक टाइम्स: शुभकामनाएं पाँचवें वर्ष में कदम रखने के लिये "पाँच लिंको का आनन्द"

बुधवार, 3 जुलाई 2019

शुभकामनाएं पाँचवें वर्ष में कदम रखने के लिये "पाँच लिंको का आनन्द"


बकबक-ए-उलूक 
समझ में नहीं आता है 
जब कभी किसी बात पर 
कुछ कहने के लिये 
कह दिया जाता है 

ऐसे ही किसी क्षण 
एक पहाड़ बना दिया गया 
राई का दाना बहुत घबराता है 
पता ही नहीं चल पाता है 
भटकते भटकते 
एक गाँव कब और कैसे 
शहरों के बीच घुस के 
घिर घिरा जाता है 

कविता कहानी की 
बाराहखड़ी से डरते हुऐ 
किताबों के पन्नों के सपनों के बीच 
खुद को खुद ही दबा ले जाता है 

हकीकत जान लेवा होती है 
सब को पता होती है 
कोई पचा लेता है 
कोई पचा दिया जाता है 

समझना आसान भी है कठिन को 
समझना बहुत कठिन है सरल को भी 
लिखना लिखाना भी 
कभी यूँ ही उलझा ले जाता है 

कैसे बताये पूछने वाले को 
बकवास करने वाले से 
जब सीधा सपाट कुछ लिखने को 
बोला जाता है 

बस चार लाईन लिखने की ही 
आदत नहीं है ‘उलूक’ की 
हर सीधे को जलेबी जरूर 
बना ले जाता है 
पाँच लिंको के आनन्द के 
पाँचवे साल में 
कदम रखने के अवसर पर 

पता नहीं क्यों 
‘ठुमुक चलत राम चंद्र बाजत पैजनियाँ’ 
और धीरे धीरे कदम
आगे बढ़ाता हुआ 
छोटा सा नन्हा सा 
 ‘राम’ याद आता है 

राजा दशरथ और
रानियों से भरे दरबार में
लोग मोहित हैं 
हर कोई तालियाँ बजाता है 

शुभकामनाएं इसी तरह से 
हर आने वाला देता हुआ 
‘राम’ के साथ बढ़ते हुऐ 
‘राम राज्य’  की ओर 
चलना चाहता है 

पुन:
शुभकामनाएं 

"पाँच लिंको का आनन्द"
 । 

21 टिप्‍पणियां:

  1. पाँचवे साल में
    कदम रखने के अवसर पर

    पता नहीं क्यों

    ‘ठुमुक चलत राम चंद्र बाजत पैजनियाँ’

    और
    धीरे धीरे कदम
    आगे बढ़ाता हुआ
    छोटा सा नन्हा सा
    ‘राम’
    याद आता है
    अद्भुत एवं अद्वितीय.....,

    जवाब देंहटाएं
  2. लाजवाब अंदाज आदरणीय जोशी सर। हलचल की इस उपलब्धि पर शुभकामनाएँ और बधाइयाँ देना तो बनता है। मेरी ओर से ढेरों बधाइयाँ, पाँच लिंकों का सफर यूँ ही अनवरत चलता रहे। सभी साथ साथ प्रेमपूर्वक चलते रहें यही शुभेच्छा।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 04 जुलाई 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. आभारी हूँ सर..आपका.स्नेह सहयोग और आशीष सदैव अपेक्षित है। सादर शुक्रिया सर।

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  5. बहुत सुंदर। अब वह ठुमकता राम तो 'होली खेलत रघुवीरा' की ओर बढ़ता जा रहा है।

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  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
    प्रणाम
    सादर

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  7. वाह बेहद खूबसूरत रचना आदरणीय

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  8. जी,आभार..
    बहुमूल्य शब्दों के लिए।

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  9. ५ साल पूरे होने पे कुछ याद आया यही सफलता है ...
    मस्त लिखा है ...

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  10. व्वाहहहह..
    आभार को किस तरह प्रकट करूँ
    कोई तो सिखाए..
    मेरे तो भैय्या हैं....
    सादर नमन..

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  11. बहुत ही लाजवाब सृजन अनोखे अंदाज में...
    वाह!!!

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  12. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06 -07-2019) को '' साक्षरता का अपना ही एक उद्देश्‍य है " (चर्चा अंक- 3388) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….
    अनीता सैनी

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  13. वाह अति सुंदर रचना अद्भूत प्रस्तुति।सादर नमस्कार।

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  14. आदरणीय ,
    'उलूक' की जलेबी का रस सदैव ही अद्भुत और अद्वितीय स्वाद दे जाता है ।
    पाँच लिंकों के आनंद का आनंद,सृजनात्मकता सभी प्रबुद्ध जनों का साथ अनवरत यूँ ही चलता रहे इसके लिए अनेकानेक शुभकामनाएँ ।
    सादर ।

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