उलूक टाइम्स: उदास चेहरा भी कार्टून में जगह ले लेता है कुछ भी लिखे को व्यंग समझना जरूरी नहीं होता है: ताला बन्दी के बहाने बकवास

सोमवार, 11 मई 2020

उदास चेहरा भी कार्टून में जगह ले लेता है कुछ भी लिखे को व्यंग समझना जरूरी नहीं होता है: ताला बन्दी के बहाने बकवास




उबासी लेता
व्यंग
अवसादग्रस्त है
मगर
मानने को
तैयार नहीं है

उसके
खुद
अपने चेहरे को खींचते हुऐ
दाँत निपोरना
जोर लगा कर हैशा

कुछ
ऐसा अहसास
करा रहा है
जैसे

कलम का लिखा
नहीं
सामने से
कलम का
हाथ में लोटा लिये
दिशा जाना
समझा रहा है

कलम
वैसे भी
अब कहीं
होती भी कहाँ है

कलम
मोक्ष प्राप्त कर
आभासी
हो चुकी है

मुँह के सामने
स्क्रीन पर
बनते लटकते
सफेद पर काले

मशीन के
पूँछ लगे मूषक
के
इशारों पर
घसीटते घिसटते
शब्दों के प्रतिबिम्ब

आभासी
अहम ब्रह्मास्मिं का बोध कर

स्वयं को स्वयं में
आत्मसात कर

मोक्ष प्राप्त कर चुकी
परम आत्मा हो लेने के लिये
उकसा रहा है

बौरा जाने के
मौसमों
और
उसके प्रकार पर

निबन्ध
बाँधने के लिये
सीमाओं को खोल कर

लेखन के बैल
या गाय
को

गले में
उसकी रस्सी लपेट कर
आजाद कर देने के बाद

गोबर से बने
भित्तिचित्रों
जैसे अभिलेखों पर

आँखें गड़ाये
उलूकको भी
इन्तजार है

अच्छे दिनों का

वो
अच्छे दिन
जिनका
अच्छा
मतलब निकाल कर
अच्छा
महसूस कर सके

कुछ
वैसा ही

जैसा
अलसुबह
किसी रोज
गड़गड़ाहट के साथ

पेट के
साफ हो जाने के बाद
होता है।

चित्र साभार:
https://pixabay.com/

78 टिप्‍पणियां:

  1. गंभीरता से शुरू होकर विराम तक मुस्कुराहट बनकर बिखर गयी आपकी लिखी पंक्तियाँ सर।
    बदलता रहता है सबकुछ धीमी गति से यही तो प्रकृति की शाश्वत प्रवृत्ति है।

    कलम
    मोक्ष प्राप्त कर
    आभासी
    हो चुकी है

    शायद क़लम "अहं ब्रह्मास्मि" हो गयी है!!
    इस वाक्यांश को लिये जा रहे हैं।
    प्रणाम सर।
    सादर।

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  2. कलम
    मोक्ष प्राप्त कर
    आभासी
    हो चुकी है.. बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं

  3. मशीन के
    पूँछ लगे मूषक
    के
    इशारों पर
    घसीटते घिसटते
    शब्दों के प्रतिबिम्ब
    ये भी कहीं ना कहीं सच है। कागज कलम का साथ छूटा, मशीन पर लिखते लिखते लोग मशीन हो गए हैं शायद....

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  4. नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 12 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. उव्वाहहहह..
    कलम
    वैसे भी
    अब कहीं
    होती भी कहाँ है
    कटु सत्य..
    सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
  6. वाहः
    मुस्कुराने से खिलखिलाहट तक अवसर आपकी रचना से मिला
    साधुवाद

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  7. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-05-2020) को   "अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3700)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर कविता आपने लिखा हुआ है आप किसी भी प्रकार की हिंदी जानकारी जैसे धर्म, महान लोग आदि प्राप्त कर सकते हैं। कृपया मेरी वेबसाइट देखें। Hindi Info

    जवाब देंहटाएं
  9. मशीन के
    पूँछ लगे मूषक
    के
    इशारों पर
    घसीटते घिसटते
    शब्दों के प्रतिबिम्ब
    वाह बेहतरीन रचना आदरणीय

    जवाब देंहटाएं
  10. जाने कितना कुछ आभासी होता जा रहा है ,या ऐसा लगने लगा ह.वास्तविकता कितने प्रतिशत बची है यह हिसाब भी कैसे लगे !

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  11. इंतज़ार है अच्छे दिनों का ... बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह!क्या ख़ूब कहा आदरणीय सर 🙏
    सादर प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  13. कलम
    मोक्ष प्राप्त कर
    आभासी
    हो चुकी है.. बहुत सुंदर लिखा है आपने ,बधाई हो

    जवाब देंहटाएं
  14. कलम
    मोक्ष प्राप्त कर
    आभासी
    हो चुकी है...
    बहुत खूब ।।।

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. I am really happy to say it’s an interesting post to read Sandeep Maheshwari Quotes Hindi this is a really awesome and i hope in future you will share information like this with us

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  17. कोटि कोटि नमन

    बहुत सुंदर प्रस्तुति

    ब्लॉग पर अनुशरण बटन उपलब्ध करा दिया हैं, श्रीमान जी

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  18. सटीक और सच्ची प्रस्तुति, हमेशा की तरह
    बधाई

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  19. एक बार फिर पढ़कर आनन्द लिया ,बहुत ही सुंदर

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  20. उबासी लेताव्यंग
    अवसादग्रस्त है

    पहली ही पंक्ति अपनी आकर्षित कर लेती है

    मशीन के
    पूँछ लगे मूषक
    के
    इशारों पर
    घसीटते घिसटते
    शब्दों के प्रतिबिम्ब

    हम्म्म्म। .. आज के दौर की यही कलम बन गयी है। ..सच। .जाने आखिरी बार कलम से कुछ लिखा होगा मैंने

    आरम्भ और अंत में भावों का उलट सफर। .... कहाँ से शुरू और कहाँ पे खतम

    बेहतरीन रचनाशब्दों के प्रतिबिम्ब,,, बेहतरीन रचना आदरणीय
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।


    कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे। .

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  21. उबासी लेता व्यंग अवसादग्रस्त है, पर मानने को तैयार नहीं, या सच है। कलम का आभासी हो मोक्ष प्राप्त करना आज कासत्य बनकर रह गया। शानदार उलूक दर्शन हमेशा की तरह👌👌👌👌

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