उलूक टाइम्स: पैजामा
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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

एक कबूतर लिख एक कबूतर खाना लिख गुटरगूं लिख चोंच लड़ाना लिख

 

मय लिख मयखाना लिख
कुछ पीना लिख  कुछ पैमाना लिख

दिन हो गये कुछ नहीं लिखे
लिख ले किसी दिन सारा जमाना लिख

नियम लिखने लिखाने के रहने दे
बेखौफ लिख 
लेखक एक दीवाना लिख

किस ने रोकना है लिखने लिखाने को
एक बन्दूक लिख 
एक बंदर को डराना लिख

गलत है बंद हो जाना कोटर में
मत पहन
एक रखा हुआ पैजामा लिख

अच्छा नहीं है कुछ नहीं लिखना
कुछ लिख
लिखने वालों का कुछ इतराना लिख

रहने दे मत लिख 
कबूतर उड़ाने वालों की बात
लिख एक कबूतरखाना लिख

लिखने लिखाने को लिख धूप दिखा
धुएं धुएं में धुएं का धुआं हो जाना लिख

कहीं भी नहीं है जब
वो जिसे जहां होना होता है
लिख कुछ हुआ 
लिख कुछ हो रहा
लिख
कल के  कुछ होने का 
हो जाना  लिख

‘उलूक’
फोड़ कुछ 
फोड़ सकता है
होना कुछ भी नहीं है किसी से
कुछ फोड़ ले
बच गया कुछ चोंच लड़ाना लिख

चित्र साभार: https://www.alamyimages.fr/

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2019

काहे पढ़ लेते हैं कुछ भी सब कुछ लिखना सब को नहीं आता है


यूँ ही
नहीं लिखता
कोई
कुछ भी

अँधेरे में
उजाला लिखना
लिखना अँधेरा
उजाले में

 उजाले में
उजाला लिखना
लिखना
अँधेरे में अँधेरा

एक बार लिखा
बार बार लिखना

 लिखना
बेमौसम
सदाबहार लिखना

यूँ ही
नहीं लिखता
कोई कुछ भी

सब
लिखते हैं कुछ

 कुछ
लिखना
सबको नहीं आता है

सब
सब नहीं लिखते हैं

 सब
लिखने की
हिम्मत
हर कोई
नहीं पा जाता है

सब लिखते हैं

 सब
लिखने पर
बात करते हैं

 सब
कोशिश करते हैं
अपने लिखे को
सब कुछ बताने की

सब
का लिखा
सब को
समझ में
नहीं आता है

 सब से
अच्छी टिप्पणी
सुन्दर होती है

 दो चार शब्द
कहीं दे आने से
ज्यादा कुछ
घट नहीं जाता है

लिखते लिखते

कहाँ
भटक गया होता है
लिखने वाले को भी
पता कहाँ चल पाता है

 कुछ भी है
लेकिन
सच
चाहे अपना हो
पड़ोस का हो
समाज का हो

किसी में
इतनी
हिम्मत
नहीं होती है

कि
लिख ले
कोई

नहीं
लिख पाता है

‘उलूक’
कोशिश करता है
फटे में झाँकने की
और बताने की

लेकिन
उसका जैसा
उल्लू का पट्ठा

शायद
कभी कोई
नजर आये

जो अपने
पैजामे के
नाड़े को
बाँधने के
चक्कर में

पैजामा
कौन सा है
बता पाये
नजर नहीं
आता है

बकवासों
का भी
समय
आयेगा कभी

खण्डहर
बतायेंगे
हर नाड़े को

पैजामा
छोड़ कर
जाने का
मलाल रह
ही जाता है।

 चित्र साभार: https://www.talentedindia.co.in