काले श्यामपट पर
सफेद चौक से लकीरें खींच कर
कोशिश कर लेना
खुद पढ़ लेने की तैयारी
जैसे
किसी को भी कुछ भी
किसी को भी कुछ भी
पढ़ा ले जाने की
रेत पर बना कर
यूँ ही कुछ आढ़ा तिरछा
सोच कर बन गया लो ताजमहल
खुश हो लेना
कौन देख रहा है
नूरजहाँ और शाहजहाँ की बात
वो भी
पुराने किसी फसाने की
पुराने किसी फसाने की
इतिहास और भूगोल
तराजू हैं ना
दशमलव के पाँच छ: सात या
और भी स्थान तक
तौल सकने वाले
तौल सकने वाले
एक पन्ना इस किताब का उधर कर लेना
खेलना
खेल से ही नहीं होता
खेल से ही नहीं होता
बाजीगरी सीख
कुछ तो कभी इस जमाने की
हवा के साथ
फोटो खींच रहे होते हैं कुछ जवान
जोशे जवानी के साथ
हवा हवा हो गयी कब कहाँ पता चलता है
सब भरम होता है
बातें बहुत करते हैं लोग बेबात में
बात ही बात में
कोशिश कर के बात को भरमाने की
कुछ नहीं लिखने का गम ठीक है
कुछ भी नहीं लिखने से
कोशिश करते करते जमाना गुजर जाता है
कुछ नहीं से कुछ हो लेने के ख्वाब
सबसे अच्छे होते हैं
हवाई जहाज सोच कर
मक्खियाँ और मच्छर उड़ाने की
‘उलूक’
कलाबाजी बाजीगरी
पता नहीं और भी बहुत कुछ है जरूरी
पता नहीं और भी बहुत कुछ है जरूरी
आज के जमाने में
शऊर
शऊर
जिसे मानता है हर दूसरा
काम नही आनी है शराफत
तेरे जैसे खामख्याली दीवाने की
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 18 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह!सर ,लाजवाब ।बातें बहुत करते हैं लोग बेबात में ,कोशिश में लगे रहते हैं बात को भरमाने की ..वाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह गहन सृजन ।
जवाब देंहटाएंहवा के साथ
जवाब देंहटाएंफोटो खींच रहे होते हैं कुछ जवान
जोशे जवानी के साथ
हवा हवा हो गयी कब कहाँ पता चलता है
सब भरम होता है..हवा हवा में बहुत बड़ी और सटीक बात कह दी आपने । लाजवाब सृजन ।
कुछ नहीं होने से कुछ हो लेने का ख्वाब उत्तम सृजन
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