खुद नहीं कर सकते अगर साथ में लेकर चलें
एक कपड़े उतारा हुआ बिजूका
जो चिल्ला सके सामने खड़े उस आदमी पर
जिसको नंगा घोषित
कर ले जाने के सारे पैंतरे उलझ चुके हों
ताश के बावन पत्तों के बीच कहीं किसी जोकर से
बस शराफत चेहरे की पॉलिश कर लेना बहुत जरूरी है ध्यान में रखना
सारे शराफत चमकाए हुऐ
एक साथ एक जमीन पर एक ही समय में
साथ में नजर नहीं आने चाहिये लेकिन
बिजूका के अगल बगल आगे और पीछे
हो सके तो ऊपर और नीचे भी
सारी मछलियों की आखें
तीर पर चिपकी हुई होनी चाहिये
और अर्जुन झुकाए खड़ा हुआ होना जरूरी है अपना सिर
सड़क पर पीटता हुआ अपनी ही छाती
गीता और गीता में चिपके हुऐ
कृष्ण के उपदेशों को
फूल पत्ते और अगरबत्ती के धुऐं की निछावर कर
दिन की शुरुआत करने वाले
सभी बिजूकों का
जिंदा रहना भी उतना ही जरूरी है
जितना
रोज का रोज सुबह शुरु होकर शाम तक
मरते चले जाने वाले शरीफों की दुकान के
शटर और तालों की धूप बत्ती कर
खबर को अखबार के पहले पन्ने में दफनाने वाले खबरची की
मसालेदार हरा धनिया छिड़की हुई खबर का
सठियाये झल्लाये खुद से खार खाये ‘उलूक’ की बकवास
बहुत दिनों तक कब्र में सो नहीं पाती है
निकल ही आती है महीने एक में कभी किसी दिन
केवल इतना बताने को कि जिंदा रहना जरूरी है
सारी सड़ांधों का भी
खुश्बुओं के सपने बेचने वालों के लिये।
एक कपड़े उतारा हुआ बिजूका
जो चिल्ला सके सामने खड़े उस आदमी पर
जिसको नंगा घोषित
कर ले जाने के सारे पैंतरे उलझ चुके हों
ताश के बावन पत्तों के बीच कहीं किसी जोकर से
बस शराफत चेहरे की पॉलिश कर लेना बहुत जरूरी है ध्यान में रखना
सारे शराफत चमकाए हुऐ
एक साथ एक जमीन पर एक ही समय में
साथ में नजर नहीं आने चाहिये लेकिन
बिजूका के अगल बगल आगे और पीछे
हो सके तो ऊपर और नीचे भी
सारी मछलियों की आखें
तीर पर चिपकी हुई होनी चाहिये
और अर्जुन झुकाए खड़ा हुआ होना जरूरी है अपना सिर
सड़क पर पीटता हुआ अपनी ही छाती
गीता और गीता में चिपके हुऐ
कृष्ण के उपदेशों को
फूल पत्ते और अगरबत्ती के धुऐं की निछावर कर
दिन की शुरुआत करने वाले
सभी बिजूकों का
जिंदा रहना भी उतना ही जरूरी है
जितना
रोज का रोज सुबह शुरु होकर शाम तक
मरते चले जाने वाले शरीफों की दुकान के
शटर और तालों की धूप बत्ती कर
खबर को अखबार के पहले पन्ने में दफनाने वाले खबरची की
मसालेदार हरा धनिया छिड़की हुई खबर का
सठियाये झल्लाये खुद से खार खाये ‘उलूक’ की बकवास
बहुत दिनों तक कब्र में सो नहीं पाती है
निकल ही आती है महीने एक में कभी किसी दिन
केवल इतना बताने को कि जिंदा रहना जरूरी है
सारी सड़ांधों का भी
खुश्बुओं के सपने बेचने वालों के लिये।
चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/image-photo/close-naked-scarecrow-straw-man-made-1428627143
आज : दिनाँक 31/08/2022 7:36 सायं तक
इस ब्लोग के कुल पृष्ठ दृश्य : 5719622
ब्लोग का ऐलेक्सा रैंक: 129457
सारी मछलियों की आखें
जवाब देंहटाएंतीर पर चिपकी हुई होनी चाहिये
और अर्जुन झुकाए खड़ा हुआ होना जरूरी है अपना सिर
सड़क पर पीटता हुआ अपनी ही छाती
वाह! लाजवाब पंक्तियां हैं।
बहुत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 1.9.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4539 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
वाक़ई इस दुनिया में हर चीज़ ज़रूरी है, दुःख भी और सुख के सपने दिखाने वाले भी।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ सितंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहहह
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
सठियाये झल्लाये
जवाब देंहटाएंखुद से खार खाये ‘उलूक’ की बकवास
बहुत दिनों तक कब्र में सो नहीँ पाती है
निकल ही आती है महीने एक में कभी किसी दिन
बताने को
जिंदा रहना जरूरी है सारी सड़ांधों का भी
खुश्बुओं के सपने बेचने वालों के लिये।\... बिल्कुल जरुरी है जिन्दा रहने के लिए यह सब करना
बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कहा सर, आज हम सब सभी बीजूका ही तो हैं। ताकते रहते हैं एक दूसरे को बोलता कौन है सभी होंठ हिलाते हैं।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत चक्करदार और पेचीली.... पर जिंदा रहने के लिए बेहद जरूरी।
जवाब देंहटाएंसच्ची और अर्थपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंआप कमाल का सृजन करते हैं
ग़ज़ब है यार
जवाब देंहटाएंवाह! लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
बहुत ही सुंदर लिंक धन्यवाद आपका
Diwali Wishes in Hindi Diwali Wishes
गजब!! हम जहाँ तक सोच भी नहीं पाते आप हवा की तरह लिख कर गुजर जाते हैं।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
अनेक बार पढ़ने के बाद भी बहुत उलझी बातों का सिरा पकड़ नहीं पाए
जवाब देंहटाएंआप रोज थोड़ा थोड़ा ही सही लिखा करें
🙂 जी आदरणीय अब कोई जिंदा मानव बिजूका बन जाए डराने के लिए वो भी अपने लिए नहीं किसी अपने जैसे जीवित प्रतीत होने वाले बिजूके के लिए तो सब बेसिरा बेसुरा हो ही जाता है सबकुछ अपने आसपास के ही कांडों का क्रियाकर्म है क्या करें जैसा दिखा लिख दिया आभार ।
हटाएंबिजूका , का नया प्रयोग
जवाब देंहटाएंनंगा बिजूका ही सारे पैंतरे सुलझा कर नंगा कर सकता है सामने वाले को...
जवाब देंहटाएंउसको क्या डर नंगा जो ठहरा...
कहीं नजर कहीं निशाना
तगड़ी दिमागी कसरत
हमेशा की तरह लाजवाब
बिजुका बनकर समाज और देश का सत्यानाश कर रहे हैं सभी।🙏
जवाब देंहटाएं