इसी सफ़ेद कागज़ में लिखा हुआ
एक कबूतर
एक कबूतर
किसी दिन किसी को नजर ही नहीं आता है
किसी दिन यही कबूतर
उसी के लिए वो एक कौआ हो जाता है
किसी दिन
मूड बहुत अच्छा होता है
मूड बहुत अच्छा होता है
कोयल की कुहू कुहू भी उसी के साथ लिखा जैसा
उसी से पढ़ लिया जाता है
उसी से पढ़ लिया जाता है
समय ने
तब भी बताया था समय अब भी बता रहा है
और
समय ही है जो आघे भी बताएगा
समय ही है जो आघे भी बताएगा
सब की समझ में आता है
देखने सुनने और समझने में हमेशा फर्क रहता है
आगे भी रहना चाहिए
सब को अपने अपने हिसाब से
अपना अपने मतलब का समझ में आ ही जाता है
अपना अपने मतलब का समझ में आ ही जाता है
कौन किसे ये बात खुद अपने आप दूसरे को बताता है?
क्या लिखते हैं
कभी भी समझ नहीं पाते हैं लोग
कहते हैं हमेशा कौन शरमाता है?
हम भी समझते हैं कुछ कुछ
कुछ लोगों को अलग बात है
बस बताने में कुछ संकोच सा हो जाता है
कुछ लोगों को अलग बात है
बस बताने में कुछ संकोच सा हो जाता है
फिर भी कोशिश करते हैं लिखते चले जाते हैं
पता होता है
बस यहाँ ही कागजी तलवार चला ले जाना
सब को ही आता है
बस यहाँ ही कागजी तलवार चला ले जाना
सब को ही आता है
लिखे पर
लिखा आपका बता जाता है
आप पढ़े लिखे हो समझ में आपके सब कुछ आ जाता है
और यही लिखा लेखक को आपके बारे में
सब कुछ साफ़ साफ़ बता जाता है
सब कुछ साफ़ साफ़ बता जाता है
लिखे को पढ़कर
उस पर कुछ लिखने वाले की तस्वीर
सामने से आ जाती है
लिखने वाले के कबूतर को
पढ़ने वाला
कौवा एक देख जब जाता है
कौवा एक देख जब जाता है
समय जरूर बताएगा
समय सबको सब कुछ सही सही बता जाता है
गलतफहमी बनी रहनी भी जरूरी है
भाग्य से ही सही
बन्दर हनुमान जैसा नजर आता है
‘उलूक’ अपनी आँखों से देखना बहुत अच्छा है
बन्दर को हनुमान
बन्दर को बन्दर देखने वाले को
समय बतायेगा कहना जुलम हो जाता है |
बन्दर को बन्दर देखने वाले को
समय बतायेगा कहना जुलम हो जाता है |
चित्र साभार : https://www.istockphoto.com/
अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 04 सितंबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआह... सटीक
जवाब देंहटाएंजुलम ही करते रहें है पढ़े लिखे लोग सरकारों पर सियासत पर.
कबूतर... अच्छा है.
पधारिये- संस्कृति - विकृति
समय जरूर बताएगा
जवाब देंहटाएंसमय सबको सब कुछ सही सही बता जाता है
बिलकुल सही!
कबूतर, कौआ और कोयल में एक समानता है, सब क से शुरू होते हैं, किसी किसी को ही हर भेद होते हुए भी जो समान है दिख जाता है
जवाब देंहटाएंलिखने वाले के कबूतर को
जवाब देंहटाएंपढ़ने वाला
कौवा एक देख जब जाता है
-तेज मुस्कान उभरी
लिखते रहा कीजिये: मुस्कान बाँटा कीजिये
वन्दन
सब की समझ में आता है
जवाब देंहटाएंदेखने सुनने और समझने में हमेशा फर्क रहता है
आगे भी रहना चाहिए
सब को अपने अपने हिसाब से
अपना अपने मतलब का समझ में आ ही जाता है
बहुत सुन्दर सृजन सर ! सादर वन्दे !
और यही लिखा लेखक को आपके बारे में
जवाब देंहटाएंसब कुछ साफ़ साफ़ बता जाता है
लिखे को पढ़कर
उस पर कुछ लिखने वाले की तस्वीर
सामने से आ जाती है
बहुत सटीक... सही कहा..
बहुत ही लाजवाब... अद्भुत
वाह!!!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशब्दों के लपेटे मे,बड़े सहज रूप से पते की बात रख देना आपको ख़ूब आता है!
जवाब देंहटाएंलेखक और पाठक के बीच जो घटता है उसका प्रभावी विश्लेषण
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
प्रणाम
सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसमय जरूर बताएगा
जवाब देंहटाएंसमय सबको सब कुछ सही सही बता जाता है.. वाकई!!
सामाजिक और सामयिक विसंगतियों पर गहन अवलोकन के उपरांत निकलती आपकी रचनाएं समय को देखने की कई दृष्टि दे जाती हैं।
सब को अपने अपने हिसाब से
जवाब देंहटाएंअपना अपने मतलब का समझ में आ ही जाता है
कौन किसे ये बात खुद अपने आप दूसरे को बताता है?
बहुत सुन्दर Sir... 🙏💐
सुंदर एवं सटीक सृजन,
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता
जवाब देंहटाएंअद्भुत विचार शक्ति, विलक्षण दृष्टि।
जवाब देंहटाएंसादर।
सटीक व्यंग
जवाब देंहटाएंअति उत्कृष्ट स्रजन 🙏
जवाब देंहटाएंयर्थाथ
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंआपका निरंतर ब्लॉग से जुड़े रहना वंदनीय है। मैं तो भटक जाता हूँ। 👏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन ! हार्दिक शुभकामनाएँ सर ! सादर वन्दे!
जवाब देंहटाएंसोचने के लिए प्रेरित करती रचना
जवाब देंहटाएंमुग्ध करती कृति
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ कह जाते हैं आप इन बातों में ...
जवाब देंहटाएंसही कहा..समय पर समय ही सबकुछ बताएगा। सरल शब्दों में बहुत कुछ बयां करती सुंदर रचना।
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