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सितम्बर २०२३ तक "उलूक टाइम्स" के साठ लाख पृष्ठ दृश्य के लिए पाठकों का आभार
चूहों की दौड़ के बीच में कहीं है
वो
ही एक चूहा नहीं है
बस मैं ही कुछ हो नहीं रहा हूँ
नकाब चूहे का है मान लिया है उसने
किसी को छूआ नहीं है
मैं ही बस कुछ उनींदा हूँ सो नहीं रहा हूँ
सबकी दुआओं में रहता है
अहसास कभी हुआ नहीं है
अहसास कभी हुआ नहीं है
बस एक मैं ही हूँ जो खो
नहीं रहा हूँ
घेर कर रखना चाह रहे हैं बंधुआ नहीं है
मैं ही हूँ बस बाहर हूँ और रो नहीं रहा हूँ
सही गलत कुछ भी लिखना जुआ नहीं है
बस एक मैं ही
ताश के पत्तों का जोकर हो नहीं रहा हूँ
ताश के पत्तों का जोकर हो नहीं रहा हूँ
नहीं भी है तब भी
ना लिखिए कहीं भी एक कुंआ नहीं है
बौछार लिख दीजिये
मैं ही बस बादल हो नहीं रहा
हूँ
सब जिम्मेदार हैं सब ईमानदार है
बस पूछिए वही जो हुआ नहीं है
बस पूछिए वही जो हुआ नहीं है
मैं अभी हूँ यहीं कहीं हूँ
खो नहीं रहा हूँ
खो नहीं रहा हूँ
सब इज्जतदार हैं डरिये नहीं
मामा है कहीं बुआ नहीं है कहीं
ताऊ बन गया है यहीं
मैं ही बस इंसान हो नहीं रहा हूँ
खोज रहा हूँ
शायद कोई जाग रहा हो
शायद कोई जाग रहा हो
मैं एक ही हूँ बस जो ढो नहीं रहा हूँ
किताब में
दो और दो चार बताया गया है
बस मैं ही नहीं और भी हैं
जो कहें
आठ होने की बाट जोह नहीं रहा हूँ
जो कहें
आठ होने की बाट जोह नहीं रहा हूँ
खबर अखबार में है एक मैं ही सो रहा हूँ
सारे सोये हुओं ने दस्तखत किये हैं
सारे सोये हुओं ने दस्तखत किये हैं
मैं ही बस कह रहा हूँ रो नहीं रहा हूँ
अखबार छापता है खबर
जो दुधारू खबरी उसे देता है
खबरी ने सबूत दिए हैं
बस एक मैं ही कोई खबर बो नहीं रहा हूँ
ईमानदार शब्दकोष का एक शब्द है
सारे चोर ईमानदार है मुझे भी होना है कुछ
सारे चोर ईमानदार है मुझे भी होना है कुछ
बस मैं ही यूं ही हो नहीं रहा हूँ
सभी कौए
पंख फैला कर मोर हो गए हैं
नाचना मुझे भी है आँगन टेढ़े हैं
मैं ही बस बिजूरवा रहूँगा
कुछ और हो नहीं रहा हूँ
कुछ और हो नहीं रहा हूँ
हर कोई
लटका कर घूम रहा है
गले में ताबीज किस्मत का अपनी
किसी एक रंग का
मैं ही बस काला रहूँ
अच्छा है खुश हो नहीं रहा हूँ
अच्छा है खुश हो नहीं रहा हूँ
गेरुआ है सफ़ेद है हरा है तिरंगे में
खून का रंग लाल है सींचना है बागवां है
‘उलूक’ बकबकी कहे
अभी तो चुप हो नहीं रहा हूँ
अभी तो चुप हो नहीं रहा हूँ
चित्र साभार: https://www.freepik.com/
बहुत शानदार लिखा जोशी जी...मामा है कहीं बुआ नहीं है कहीं ताऊ बन गया है यहीं
जवाब देंहटाएंमैं ही बस इंसान हो नहीं रहा हूँ
खोज रहा हूँ शायद कोई जाग रहा हो
मैं एक ही हूँ बस जो ढो नहीं रहा हूँ
किताब में दो और दो चार बताया गया है...वाह
ईमानदार शब्दकोष का एक शब्द है
जवाब देंहटाएंसारे चोर ईमानदार है मुझे भी होना है कुछ
बस मैं ही यूं ही हो नहीं रहा हूँ
सभी कौए पंख फैला कर मोर हो गए हैं
नाचना मुझे भी है आँगन टेढ़े हैं
मैं ही बस बिजूरवा रहूँगा कुछ और हो नहीं रहा हूँ
अद्धभुत सृजन करते हैं•••
कुछ न होना, खबर कोई न देना, सोये हुए कुछ भी न करना, फिर भी कुछ कहते रहना आसान तो नहीं होता ! प्रभावशाली लेखन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई सर इस अद्भुत उपलब्धि के लिए। आपकी सक्रियता और लेखन मृतप्राय से चिट्ठाजगत में नन्हे अंकुरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाओं में छुपे भाव का हम सभी अपनी क्षमता और बौद्धिक स्तर के अनुसार अनुवाद करने का प्रयास करते हैं पर शायद कभी आपके विचारों के स्तर को छू नहीं पाते.. एक और सबसे अलग रचना।
प्रणाम सर।
लिखते रहें ...।
सादर।
ताश के पत्तों में जोकर हो जाना बहुत काम की चीज़ होता है ... सटीक, व्यंग ...
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना मंगलवार १० अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
प्रतीकात्मकता के माध्यम से आज की समसामयिक व्यवस्था पर कुठाराघात करना कोई आपसे सीखे सर। बेहतरीन शब्दावली का प्रयोग।अप्रतिम रचना सादर
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति । आपको “उलूक टाइम्स" के साठ लाख पृष्ठ दृश्य के लिए बहुत बहुत बधाई । सादर वन्दे ।
जवाब देंहटाएंखबर अखबार में है एक मैं ही सो रहा हूँ
जवाब देंहटाएंसारे सोये हुओं ने दस्तखत किये हैं
मैं ही बस कह रहा हूँ रो नहीं रहा हूँ
किस किस को रोयें...
ईमानदार शब्दकोष का एक शब्द है
सारे चोर ईमानदार है मुझे भी होना है कुछ
बस मैं ही यूं ही हो नहीं रहा हूँ
ईमानदार चोर हो सकते हैं घूसखोर नहीं ...उन्हें मेहनत जो करनी है..
समाज के समसामयिक कई पहलुओं जोरदार कटाक्ष वहभी अपने अद्भुत अंदाज में...
वाह!!!
सारगर्भित, रहस्यमय शैली आपकी कई बार पढ़ना होता है आदरणीय फिर कुछ अपनी समझ से समझ जाने का दावा करने की --हिम्मत खो नहीं रही हूँ।
जवाब देंहटाएंअद्भुत!!
आज की विसंगतियों पर प्रहार करता सटीक कटाक्ष।
वाह गजब लिखा है आपने ❤️
जवाब देंहटाएंसभी कौए
जवाब देंहटाएंपंख फैला कर मोर हो गए हैं
नाचना मुझे भी है आँगन टेढ़े हैं
मैं ही बस बिजूरवा रहूँगा
कुछ और हो नहीं रहा हूँ
बहुत सुन्दर रचना sir 🙏
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंमान्यवर नमस्ते !
जवाब देंहटाएंअखबार छापता है खबर
जो दुधारू खबरी उसे देता है
खबरी ने सबूत दिए हैं
बस एक मैं ही कोई खबर बो नहीं रहा हूँ
सब इज्जतदार हैं डरिये नहीं
मामा है कहीं बुआ नहीं है कहीं
ताऊ बन गया है यहीं
मैं ही बस इंसान हो नहीं रहा हूँ
बहुत बढ़िया ! सार्थक व्यंग !
कितना सच !
जवाब देंहटाएंखबर अखबार में है एक मैं ही सो रहा हूँ
जवाब देंहटाएंसारे सोये हुओं ने दस्तखत किये हैं
मैं ही बस कह रहा हूँ रो नहीं रहा हूँ
अखबार छापता है खबर
जो दुधारू खबरी उसे देता है
खबरी ने सबूत दिए हैं
बस एक मैं ही कोई खबर बो नहीं रहा हूँ,,,,,, बहुत सच बात है आदरणीय बहुत बढ़िया,
खोज रहा हूँ
जवाब देंहटाएंशायद कोई जाग रहा हो
मैं एक ही हूँ बस जो ढो नहीं रहा हूँ,
आज के यथार्थ पर गहन चिंतन भरा अवलोकन।
अद्भुत रचना।
bahut hi sundar rachna!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति। पढ़कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसदा की तरह बेहतरीन 🙏
जवाब देंहटाएंविचारणीय और सारगर्भित
जवाब देंहटाएंअभिनव काव्य सृजन
जवाब देंहटाएंA beautiful satirical poem!
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़ियां
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर गूढ़ प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंI've been following your blog for a while, and I must say your coverage is commendable. As a fellow enthusiast, I'd like to share an excellent website, Sattaking , where you can find in-depth information about Satta King, strategies, and the latest updates in the world of Satta.
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