लिख ले कुछ अब अपने भी करतब
सोच नहीं सलाहकारों का क्या होगा
छिप लेंगे कुछ खबरों के पीछे
उस्तादों के व्यापारों का क्या होगा
तूती बोल रही जब करतूतों की
कालजयी सरोकारों का क्या होगा
परदे के पीछे खेल रहे खुद धागे
कठपुतली के व्यभिचारों का क्या होगा
किसने लिखनी है कलियुग में रामायण
धनुष यज्ञ के किरदारों का क्या होगा
छोटे छोटे कतरे लेखक के गोलक के
फूटी किस्मत के दरबारों का क्या होगा
हर रस का व्यापार रसीले सब व्यापारी
‘उलूक’ करता चल बकवास बिना सोचे
चिट्ठों और चिट्ठाकारों का क्या होगा
चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/
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