सूक्ष्म मध्यम
महत दिव्य
अलौकिक
या और भी
कई प्रकार के
आभास कराते
अपने ही
आसपास के
कार्यकलाप
आसानी से जैसे
खेल खेल में
समझाते
सर्वशक्तिमान
सर्वज्ञ
सर्वव्यापी
सर्वभूत
दिलाते
अहसास
सभी
ज्यादातर
या कुछ
मनुष्यों
के ही
ईश्वर होने का
यहीं इति कर देना
या इसके बाद
लिख देना क्रमश:
शेष अगले अंक में
फर्क है
बहीखाते में
रोज का रोज
हिसाब
जोड़ लेने में
हफ्ते में
सात दिन का
एक साथ
लिखने में
या महीने भर
के हिसाब को
किसी एक दिन
निचोड़ लेने में
वैसे भी
आधी उम्र पार
करते करते
समझ में आना
शुरु हो ही जाता है
आधी उम्र तक
पहुँचने तक के
सब कुछ सीखे
हुऐ का सार
पाप पुण्य
की सीमा में
लड़खड़ाते
खुद के अच्छे
कर्मों से
पुण्यों को
जमा कर
लेने के भ्रम
अनदेखी
करते हुऐ
सामूहिक
अपराधों में
अपनी
भागीदारी को
अच्छा है
महसूस
कर लेना
‘उलूक’
स्वयं का भी
ईश्वर होना
डकारते हुऐ
अन्दर की ओर
अह्म ब्रह्मास्मि।
चित्र साभार: Clipart - schliferaward
महत दिव्य
अलौकिक
या और भी
कई प्रकार के
आभास कराते
अपने ही
आसपास के
कार्यकलाप
आसानी से जैसे
खेल खेल में
समझाते
सर्वशक्तिमान
सर्वज्ञ
सर्वव्यापी
सर्वभूत
दिलाते
अहसास
सभी
ज्यादातर
या कुछ
मनुष्यों
के ही
ईश्वर होने का
यहीं इति कर देना
या इसके बाद
लिख देना क्रमश:
शेष अगले अंक में
फर्क है
बहीखाते में
रोज का रोज
हिसाब
जोड़ लेने में
हफ्ते में
सात दिन का
एक साथ
लिखने में
या महीने भर
के हिसाब को
किसी एक दिन
निचोड़ लेने में
वैसे भी
आधी उम्र पार
करते करते
समझ में आना
शुरु हो ही जाता है
आधी उम्र तक
पहुँचने तक के
सब कुछ सीखे
हुऐ का सार
पाप पुण्य
की सीमा में
लड़खड़ाते
खुद के अच्छे
कर्मों से
पुण्यों को
जमा कर
लेने के भ्रम
अनदेखी
करते हुऐ
सामूहिक
अपराधों में
अपनी
भागीदारी को
अच्छा है
महसूस
कर लेना
‘उलूक’
स्वयं का भी
ईश्वर होना
डकारते हुऐ
अन्दर की ओर
अह्म ब्रह्मास्मि।
चित्र साभार: Clipart - schliferaward