सुबह से
शुरू होती
है बात
रात सोने
तक चलती
है बात
घर से
निकलते
बाजार
में चलते
आफिस
पहुंचने
तक होती
है बात
और
यहां हैं
भी तो
बात
ही बात
सबकी
अपनी बात
एक
अनोखी बात
मेरी तू
सुन बात
तेरी मैं
सुनुंगा बात
मेरे पड़ौस
में भी
आज हुवी
एक बात
बाजार में
भी सुनी
मैंने एक
रसीली बात
कालेज में
भी थी
कुछ
चटपटी बात
हाय ये
कैसी
अनोखी
अजीब सी
है बात
इन सब
बात में
एक भी
ऎसी
नहीं बात
मैं कैसे
किस
मुंह से
बताउं वो
सब बात
यहां कोई
ऎसी वैसी
नहीं करता
कभी बात
सब बनाते
हैं अपनी
अपनी
एक बात
लिखते चले
जाते हैं
आसानी से
वो बात
कोई नहीं
बताना
चाहता
सही
सही बात
ये भी क्या
हुवी बात
कह डाली
एक बात
उस बात
पर भी
सिब्बल की
करो बात
मना कर
रहा है वो
क्यों कर
रहे हो बात।
शुरू होती
है बात
रात सोने
तक चलती
है बात
घर से
निकलते
बाजार
में चलते
आफिस
पहुंचने
तक होती
है बात
और
यहां हैं
भी तो
बात
ही बात
सबकी
अपनी बात
एक
अनोखी बात
मेरी तू
सुन बात
तेरी मैं
सुनुंगा बात
मेरे पड़ौस
में भी
आज हुवी
एक बात
बाजार में
भी सुनी
मैंने एक
रसीली बात
कालेज में
भी थी
कुछ
चटपटी बात
हाय ये
कैसी
अनोखी
अजीब सी
है बात
इन सब
बात में
एक भी
ऎसी
नहीं बात
मैं कैसे
किस
मुंह से
बताउं वो
सब बात
यहां कोई
ऎसी वैसी
नहीं करता
कभी बात
सब बनाते
हैं अपनी
अपनी
एक बात
लिखते चले
जाते हैं
आसानी से
वो बात
कोई नहीं
बताना
चाहता
सही
सही बात
ये भी क्या
हुवी बात
कह डाली
एक बात
उस बात
पर भी
सिब्बल की
करो बात
मना कर
रहा है वो
क्यों कर
रहे हो बात।