उलूक टाइम्स: इत्मीनान
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शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

स्टेज बहुत बड़ा है आग देखने वालों की भीड़ है ‘उलूक’ तमाशा देख मदारी का


किस लिये
ध्यान देना

कई
दिशाओं में

कई कई
कोसों तक
बिखरे हुऐ

सुलगते
छोटे छोटे
कोयलों
की तरफ

ना
आग ही
नजर आती है

ना ही
नजर आता है
कहीं
धुआँ भी
जरा सा

बेशरम
कोयले
समय भी
नहीं लेते हैं

कब
राख हो जाते हैं

कब
उड़ा ले जाती है
हवा

निशान भी
इतिहास
हो जाते हैं

इतिहास
लिखे जाने से
पहले ही

अपने
घर से
कहीं
 बहुत दूर
लगी

बहुत
बड़ी
लपट की
बड़ी आग

होती है
काम की आग

आकर्षित
करते हैं
उसके रंग

चित्र भी
अच्छे आते हैं
कैमरे से

कलाकार
की
तूलिका भी
दिखा सकती है
कमाल

आग को
रंगों में उतार कर
कागज पर

लगता तो है

कहीं
कुछ जला है

धुँआ
भी हुआ है

और
सोच भी
हो पाती है
कुछ
पानी पानी सी

कौन सा
गीला
करना होता है
समय को
शब्दों से

और
कहाँ
लिखा होता है

किसी की भी
मोटी
पूज्यनीय
किताब में

कि
जरूरी होता है
उड़ा देना
राख को
गरमी
रहते रहते

इत्मीनान
भी कोई
चीज होती है

इतिहास
के लिये
ना सही

बही खाते में
लिख कर
जमा कर लेने
से भी
फायदा होता है

साठ सत्तर
दशक बाद
कोई भी
 किसी पर भी
लगा देगा
इल्जाम

चकमक पत्थर
घिस घिसा कर
आग लगाने का

‘उलूक’
तमाशा देख
मदारी का

स्टेज
बहुत बड़ा है

आग
देखने वालों की
भीड़ है

वैसे भी

आग
किसी को
सोचनी जो
क्या है

सोच लेने
से भी
कुछ
जलता
नहीं है 

ठंड रख।

चित्र साभार: https://pngtree.com