किस लिये
ध्यान देना
कई
दिशाओं में
कई कई
कोसों तक
बिखरे हुऐ
सुलगते
छोटे छोटे
कोयलों
की तरफ
ना
आग ही
नजर आती है
ना ही
नजर आता है
कहीं
धुआँ भी
जरा सा
बेशरम
कोयले
ध्यान देना
कई
दिशाओं में
कई कई
कोसों तक
बिखरे हुऐ
सुलगते
छोटे छोटे
कोयलों
की तरफ
ना
आग ही
नजर आती है
ना ही
नजर आता है
कहीं
धुआँ भी
जरा सा
बेशरम
कोयले
समय भी
नहीं लेते हैं
कब
राख हो जाते हैं
कब
उड़ा ले जाती है
हवा
निशान भी
इतिहास
हो जाते हैं
इतिहास
लिखे जाने से
पहले ही
अपने
घर से
कहीं
बहुत दूर
लगी
बहुत
बड़ी
लपट की
बड़ी आग
होती है
काम की आग
आकर्षित
करते हैं
उसके रंग
चित्र भी
अच्छे आते हैं
कैमरे से
कलाकार
की
तूलिका भी
दिखा सकती है
कमाल
आग को
रंगों में उतार कर
कागज पर
लगता तो है
कहीं
कुछ जला है
धुँआ
भी हुआ है
और
सोच भी
हो पाती है
कुछ
पानी पानी सी
कौन सा
गीला
करना होता है
समय को
शब्दों से
और
कहाँ
लिखा होता है
किसी की भी
मोटी
पूज्यनीय
किताब में
कि
जरूरी होता है
उड़ा देना
राख को
गरमी
रहते रहते
इत्मीनान
भी कोई
चीज होती है
इतिहास
के लिये
ना सही
बही खाते में
लिख कर
जमा कर लेने
से भी
फायदा होता है
साठ सत्तर
दशक बाद
कोई भी
किसी पर भी
लगा देगा
इल्जाम
चकमक पत्थर
घिस घिसा कर
आग लगाने का
‘उलूक’
तमाशा देख
मदारी का
स्टेज
बहुत बड़ा है
आग
देखने वालों की
भीड़ है
वैसे भी
आग
किसी को
सोचनी जो
क्या है
सोच लेने
से भी
कुछ
जलता
नहीं है
ठंड रख।
चित्र साभार: https://pngtree.com
नहीं लेते हैं
कब
राख हो जाते हैं
कब
उड़ा ले जाती है
हवा
निशान भी
इतिहास
हो जाते हैं
इतिहास
लिखे जाने से
पहले ही
अपने
घर से
कहीं
बहुत दूर
लगी
बहुत
बड़ी
लपट की
बड़ी आग
होती है
काम की आग
आकर्षित
करते हैं
उसके रंग
चित्र भी
अच्छे आते हैं
कैमरे से
कलाकार
की
तूलिका भी
दिखा सकती है
कमाल
आग को
रंगों में उतार कर
कागज पर
लगता तो है
कहीं
कुछ जला है
धुँआ
भी हुआ है
और
सोच भी
हो पाती है
कुछ
पानी पानी सी
कौन सा
गीला
करना होता है
समय को
शब्दों से
और
कहाँ
लिखा होता है
किसी की भी
मोटी
पूज्यनीय
किताब में
कि
जरूरी होता है
उड़ा देना
राख को
गरमी
रहते रहते
इत्मीनान
भी कोई
चीज होती है
इतिहास
के लिये
ना सही
बही खाते में
लिख कर
जमा कर लेने
से भी
फायदा होता है
साठ सत्तर
दशक बाद
कोई भी
किसी पर भी
लगा देगा
इल्जाम
चकमक पत्थर
घिस घिसा कर
आग लगाने का
‘उलूक’
तमाशा देख
मदारी का
स्टेज
बहुत बड़ा है
आग
देखने वालों की
भीड़ है
वैसे भी
आग
किसी को
सोचनी जो
क्या है
सोच लेने
से भी
कुछ
जलता
नहीं है
ठंड रख।
चित्र साभार: https://pngtree.com