एक
मोटी किताब में
मोटी किताब में
सब कुछ लिखा गया है
कुछ
समझ में आ जाता है
समझ में आ जाता है
जो
नहीं आता है
नहीं आता है
सब समझ चुके विद्वानो से
पूछ लिया जाता है
पूछ लिया जाता है
मान
लिया जाता है
लिया जाता है
पढ़ा लिखा आदमी कभी भी
किसी को
बेवकूफ नहीं बनाता है
बेवकूफ नहीं बनाता है
वही सब
अगर आज हो रहा होता
अगर आज हो रहा होता
तो राम
तुलसी को बहुत कोस रहा होता
तुलसी को बहुत कोस रहा होता
क्या कर रहा है
पता नहीं इतने दिनो से
पता नहीं इतने दिनो से
अभी तक तो
पूरी रामचरित मानस छपने को दे चुका होता
प्रोजेक्ट
इस पर भी भेजने के लिये बोला था
इस पर भी भेजने के लिये बोला था
आवेदन तो कम से कम कर ही दिया होता
आपदा के फंड से
दीर्घकालीन अध्ययन के नाम पर
कुछ
किसी से कहलवा कर
कुछ
किसी से कहलवा कर
अब तक
दे दिलवा भी दिया होता
दे दिलवा भी दिया होता
हनुमान जी आये थे
खोद कर ले गये थे संजीवनी का पहाड़
केदारनाथ में जो हुआ
उसी के कारण हुआ
उसी के कारण हुआ
इतना ही तो लिखना होता
लिख ही दिया होता
पर ये सब आज के दिन कैसे हो रहा होता
थोड़ा सा भी समझदार होता
तो तुलसीदास
नहीं कुछ और हो रहा होता
नहीं कुछ और हो रहा होता
बिना
कुछ लिये दिये
एक
कालजयी ग्रन्थ
कुछ लिये दिये
एक
कालजयी ग्रन्थ
लिख लिखा कर ऐसे ही
बिना
कोई अॅवार्ड लिये
कोई अॅवार्ड लिये
दुनिया से
थोड़ा विदा हो गया होता ।
चित्र साभार: https://www.clipartkey.com/
थोड़ा विदा हो गया होता ।
चित्र साभार: https://www.clipartkey.com/