उलूक टाइम्स: खम्बा
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सोमवार, 15 जुलाई 2013

अब तुम भी पूछोगी क्या?

क्यों पूछती हो
एक ही बात बार बार

ये किस पर 
लिखा है
क्या कुछ लिखा है

मैने कभी 
क्या तुमसे कहा है
मैं लिख रहा हूँ 
तुमको पढ़ भी लेना है समझना है

इतने लोग हैं 
यहाँ
कुछ ना 
कुछ लिखते हुऎ
शायद 
तुमको भी 
मेरी तरह ही नजर आ रहे हैं

किसी को 
कुछ लगता है अच्छा
किसी को लगता है कुछ बुरा

सब ही तो 
अपनी अपनी बात यहाँ समझा रहे हैं

अब जैसे 
कभी
चोर 
पर लिखा दिखता है कहीं अगर
तो कौन सा सिपाही लोग
उसको पकड़ने को जा रहे हैं

बस
लिख 
ले जा रहे हैं हम भी
कुछ कहीं 
करने को नहीं जा रहे हैं

करने वाले 
सब लगे हुऎ हैं करने में
वो कौन सा तुम्हारी तरह
पढ़ने 
को यहाँ आ रहे हैं

या तो
सीख 
लो उन से कुछ करना
नहीं तो 
बस पढ़ लिया करना

अगली बार 
से हम भी 
तुमको बताने ये नहीं जा रहे हैं

हम से 
होता तो है कुछ भी नहीं
सरे आम देख कर आते हैं वहाँ कुछ

अपनी
अंधेरी 
गली में
खम्बा नोचना तक अपना
किसी को भी नहीं दिखा पा रहे हैं ।

चित्र साभार: http://clipart-library.com/

शनिवार, 26 जनवरी 2013

डाक्टर नहीं कहता कबाड़ी का लिखा पढ़ने की कोशिश कर



आसानी से
अपने आस पास की मकड़ी हो जाना

या फिर एक केंचुआ मक्खी या मधुमक्खी
पर आदमी हो जाना सबसे बड़ा अचम्भा

उसपर जब चाहो
मकड़ी कछुऎ बिल्ली कुत्ते उल्लू
या एक बिजली का खम्बा छोटा हो या लम्बा

समय के हिसाब से
अपनी टाँगों को यूं कर ले जाना

उस पर मजे की बात
पता होना कि कहाँ क्या हो रहा है
पर
ऎसे दिखाना जैसे सारा जहाँ
बस उसके लिये ही तो रो रहा है

वो एहसान कर
हंसने का ड्रामा तो कर रहा है
शराफत से निभाना

गाली को गोली की तरह पचाना
सामने वाले को
सलाम करते हुऎ बताते चले जाना
समझ में सबकुछ ऎसे ही आ जाना

पर दिखाना
जैसे 
बेवकूफ हो सारा का सारा जमाना
टिप्पणी करने में हिचकिचाना

क्योंकी
पकडे़ जाने का क्यों छोड़ जाना
एक कहीं निशाना

चुपके से आना पढ़ ले जाना
मुस्कुराना और बस सोच लेना

एक बेवकूफ को
अच्छा हुआ कि कुछ नहीं पढ़ा
अपनी ओर से कुछ भी बताना ।

चित्र साभार: https://www.thequint.com/