कभी सम्भाल
भी लिया कर
फुरसतें
जरूरी नहीं है
लिखना ही
शुरु हो जाना
खाली पन्नों को
खुरच कर इतना
भी कुरेदना
ठीक नहीं
महसूस नहीं
होता क्या
बहुत हो गया
लिखना छोड़
कभी कुछ कर
भी लिया जाये
पन्ने के
ऊपर पन्ना
पन्ने के
नीचे पन्ना
आगे पन्ना
पीछे पन्ना
कोई नहीं
पूछने वाला
कितने
कितने पन्ने
गन्ने के खेत में
कभी गिने हैं
खड़े होकर गन्ने
नहीं गिने
हैं ना
कोई नहीं
गिनता है
गन्ने की
ढेरियाँ होती हैं
उसमें से गुड़
निकलता है
पन्ने गिन
या ना गिन
ढेरियाँ पन्नों की
लग कर गन्ने
नहीं हो
जाने वाले हैं
कुछ भी
नहीं निकलने
वाला पन्नों से
निचोड़ कर भी
किताब जरूर
बना ले जाते हैं
किताबी लोग
किताबों से
दुकान बनती है
इस दुकान से
उस दुकान
किताबों के
ऊपर किताब
किताबों के
नीचे किताब
इधर किताब
उधर किताब
हो जाती हैं
किताबों की
खरीद फरोख्त
की हिसाब
की किताब
कई जगह
पायी जाती है
रोज की
कूड़ेदान से
निकाल धो
पोंछ कर
परोसी गयी
खबरों से
इतिहास नहीं
बनता है बेवकूफ
समझता
क्यों नहीं है
इतिहास
भैंस हो
चुका है
लाठी लिये
हाँकने भी
लगे हैं लोग
अभी भी वक्त है
सुधर जा ‘उलूक’
कुछ भैंस
पर लिख
कुछ लाठी पर
और कुछ
हाकने वालों
पर भी
आने वाले
समय के
इतिहास के
प्रश्न पत्र
उत्तर लिखे हुऐ
सामने से आयेंगे
परीक्षा देने वाले
से कहा जायेगा
दिये गये उत्तरों
के प्रश्न बनाइये
और अपने
घर को जाइये।
चित्र साभार: www.spectator.co.uk
भी लिया कर
फुरसतें
जरूरी नहीं है
लिखना ही
शुरु हो जाना
खाली पन्नों को
खुरच कर इतना
भी कुरेदना
ठीक नहीं
महसूस नहीं
होता क्या
बहुत हो गया
लिखना छोड़
कभी कुछ कर
भी लिया जाये
पन्ने के
ऊपर पन्ना
पन्ने के
नीचे पन्ना
आगे पन्ना
पीछे पन्ना
कोई नहीं
पूछने वाला
कितने
कितने पन्ने
गन्ने के खेत में
कभी गिने हैं
खड़े होकर गन्ने
नहीं गिने
हैं ना
कोई नहीं
गिनता है
गन्ने की
ढेरियाँ होती हैं
उसमें से गुड़
निकलता है
पन्ने गिन
या ना गिन
ढेरियाँ पन्नों की
लग कर गन्ने
नहीं हो
जाने वाले हैं
कुछ भी
नहीं निकलने
वाला पन्नों से
निचोड़ कर भी
किताब जरूर
बना ले जाते हैं
किताबी लोग
किताबों से
दुकान बनती है
इस दुकान से
उस दुकान
किताबों के
ऊपर किताब
किताबों के
नीचे किताब
इधर किताब
उधर किताब
हो जाती हैं
किताबों की
खरीद फरोख्त
की हिसाब
की किताब
कई जगह
पायी जाती है
रोज की
कूड़ेदान से
निकाल धो
पोंछ कर
परोसी गयी
खबरों से
इतिहास नहीं
बनता है बेवकूफ
समझता
क्यों नहीं है
इतिहास
भैंस हो
चुका है
लाठी लिये
हाँकने भी
लगे हैं लोग
अभी भी वक्त है
सुधर जा ‘उलूक’
कुछ भैंस
पर लिख
कुछ लाठी पर
और कुछ
हाकने वालों
पर भी
आने वाले
समय के
इतिहास के
प्रश्न पत्र
उत्तर लिखे हुऐ
सामने से आयेंगे
परीक्षा देने वाले
से कहा जायेगा
दिये गये उत्तरों
के प्रश्न बनाइये
और अपने
घर को जाइये।
चित्र साभार: www.spectator.co.uk