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शनिवार, 30 अप्रैल 2022

अल्विदा ‘ऐलैक्सा’

अल्विदा ‘ऐलैक्सा’ एक मई से अवकाश में जा रही हो आभार हौसला अफजाई के लिये एक लम्बे अर्से से आभासी दुनियाँ के आभासी पन्नों का साथ निभा रही हो
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शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020

लिखना फिर शुरु कर ‘उलूक’ लिखे पर लम्बाई के हिसाब से भुगतान किये जाने की खबर आ रही है

 

लिखना
और
सुबह सवेरे
समय पर उठना
एक जैसा हो लिया है 

कुछ
समय से
आदतें सारी
यूँ ही
खराब होती जा रही है 

सारा
बेतरतीब
वहीं का वहीं रह गया है 

सपना
आसमान का एक
जमीं पर खुद सो लिया है 

कूड़े के डिब्बे को
रोज खाली करने की
याद
नहीं आ रही है 

सफेद में काला
और
काले में
कुछ सफेद बो लिया है 

सफेद पन्नों की देखिये
कैसी
मौज होती जा रही है

स्याही ने खुद को
कुछ सफेद सा रंग लिया है 
सारी सफेदी
सफेदों के सामने से
सफेद सफेद चिल्ला रही है 

लिखना लिखाना
अँधेरे में खुद ही खो लिया है 
स्याही काली
अपने काले शब्दों को पी जा रही है 

शब्दों को पता नहीं
क्यों इतना नशा हो लिया है 
स्याही
कलम के पेट में
अलग से लड़खड़ा रही है 

लिखना भूल जाना
बहुत अच्छा है
कोई भूल ही गया है 

भरे कूड़े के
डब्बे के अंदर से
घमासान
होने की आवाजें आ रही हैं 

फीते से
कलम के साथ पन्ने
कई सारे
नाप लिया है ‘उलूक’ 

लिखे लिखाई की
प्रति मीटर लम्बाई
के हिसाब से
भुगतान किये जाने की
खबर आ रही है। 

चित्र साभार: https://www.smashingmagazine.com/

शनिवार, 18 जुलाई 2020

जमाने को पागल बनाओ


दूर कहीं आसमान में
 उड़ती चील दिखाओ 

कुछ हवा की बातें करो
कुछ बादलों की चाल बताओ

कुछ पुराने सिक्के घर के
मिट्टी के तेल से साफ कर चमकाओ

कुछ फूल कुछ पौंधे
कुछ पेंड़ के संग खींची गयी फोटो
जंगल  हैंं बतलाओ

तुम तब तक ही लोगों के
समझ में आओगे
जब तक तुम्हारी बातें
तुम्हें खुद ही समझ में नहीं आयेंगी
ये अब तो समझ जाओ 

जिस दिन करोगे बातें
किताब में लिखी
और
सामने दिख रहे पहाड़ की

समझ लो कोई कहने लगेगा
आप के ही घर का

क्या फालतू में लगे हो
जरा पन्ने तो पलटाओ

कुछ रंगीन सा दिखाओ
कुछ संगीत तो सुनाओ

नहीं कर पा रहे हो अगर

एक कनिस्तर खींच कर
पत्थर से ही बजा कर टनटनाओ

जरूरी नहीं है
बात समझ में ही आये समझने वाली भी
पढ़ने सुनने वाले को
जन गण मन साथ में जरूर गुनगुनाओ

जरूरी नहीं है
उत्तर मिलेंं नक्कारखाने की दीवारों से
जरूरी प्रश्नों के
कुछ उत्तर कभी
अपने भी बना कर भीड़ में फैलाओ

लिखना कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है
नजर रखा करो लिखे पर

कुछ नोट खर्च करो
किताब के कुछ पन्ने ही हो जाओ

‘उलूक’
चैन की बंसी बजानी है
अगर इस जमाने में

पागल हो गया है की खबर बनाओ
जमाने को पागल बनाओ।

चित्र साभार:
http://www.caipublishing.net/yeknod/introduction.html

रविवार, 3 दिसंबर 2017

कभी कुछ भैंस पर लिख कभी कुछ लाठी पर भी

कभी सम्भाल
भी लिया कर
फुरसतें

जरूरी नहीं है
लिखना ही
शुरु हो जाना

खाली पन्नों को
खुरच कर इतना
भी कुरेदना
ठीक नहीं

महसूस नहीं
होता क्या
बहुत हो गया
लिखना छोड़
कभी कुछ कर
भी लिया जाये

पन्ने के
ऊपर पन्ना
पन्ने के
नीचे पन्ना
आगे पन्ना
पीछे पन्ना
कोई नहीं
पूछने वाला
कितने
कितने पन्ने

गन्ने के खेत में
कभी गिने हैं
खड़े होकर गन्ने

नहीं गिने
हैं ना
कोई नहीं
गिनता है

गन्ने की
ढेरियाँ होती हैं
उसमें से गुड़
निकलता है

पन्ने गिन
या ना गिन
ढेरियाँ पन्नों की
लग कर गन्ने
नहीं हो
जाने वाले हैं

कुछ भी
नहीं निकलने
वाला पन्नों से
निचोड़ कर भी

किताब जरूर
बना ले जाते हैं
किताबी लोग

किताबों से
दुकान बनती है

इस दुकान से
उस दुकान
किताबों के
ऊपर किताब
किताबों के
नीचे किताब
इधर किताब
उधर किताब
हो जाती हैं

किताबों की
खरीद फरोख्त
की हिसाब
की किताब
कई जगह
पायी जाती है

रोज की
कूड़ेदान से
निकाल धो
पोंछ कर
परोसी गयी
खबरों से
इतिहास नहीं
बनता है बेवकूफ

समझता
क्यों नहीं है
इतिहास
भैंस हो
चुका है
लाठी लिये
हाँकने भी
लगे हैं लोग

अभी भी वक्त है
सुधर जा ‘उलूक’

कुछ भैंस
पर लिख
कुछ लाठी पर
और कुछ
हाकने वालों
पर भी

आने वाले
समय के
इतिहास के
प्रश्न पत्र
उत्तर लिखे हुऐ
सामने से आयेंगे

परीक्षा देने वाले
से कहा जायेगा
दिये गये उत्तरों
के प्रश्न बनाइये
और अपने
घर को जाइये।

चित्र साभार: www.spectator.co.uk

मंगलवार, 27 जून 2017

पुराना लिखा मिटाने के लिये नया लिखा दिखाना जरूरी होता है

लगातार
कई बरसों तक
सोये हुऐ पन्नों पर
नींद लिखते रहने से
 शब्दों में उकेरे हुऐ
सपने उभर कर
नहीं आ जाते हैं

ना नींद
लिखी जाती है
ना पन्ने उठ
पाते हैं नींद से

खुली आँख से
आँखें फाड़ कर
देखते देखते
आदत पढ़ जाती है
नहीं देखने की
वो सब
जो बहुत
साफ साफ
दिखाई देता है

खेल के नियम
खेल से ज्यादा
महत्वपूर्ण होते हैं

नदी के किनारे से
चलते समय के
आभास अलग होते हैं

बीच धारा में पहुँच कर
अन्दाज हो जाता है

चप्पू नदी के
हिसाब से चलाने से
नावें डूब जाती हैं

बात रखनी
पड़ती है
सहयात्रियों की

और
सोच लेना होता है
नदी सड़क है
नाव बैलगाड़ी 
है 
और
यही जीवन है

किताबों में
लिखी इबारतें
जब नजरों से
छुपाना शुरु
कर दें उसके
अर्थों को

समझ लेना
जरूरी हो
जाता है

मोक्ष पाने
के रास्ते का
द्वार कहीं
आसपास है

रोज लिखने
की आदत
सबसे
अच्छी होती है

कोई ज्यादा
ध्यान नहीं
देता है
मानकर कि
लिखता है
रहने दिया जाये

कभी कभी
लिखने से
मील के पत्थर
जैसे गड़ जाते हैं

सफेद पन्ने
काली लकीरें
पोते हुऐ जैसे
उनींदे से

ना खुद
सो पाते हैं
ना सोने देते हैं

‘उलूक’
बड़बड़ाते
रहना अच्छा है

बीच बीच में
चुप हो जाने से
मतलब समझ में
आने लगता है
कहे गये का
होशियार लोगों को

पन्नो को नींद
आनी जरूरी है
लिखे हुऐ को भी
और लिखने वाले
का सो जाना
सोने में सुहागा होता है ।

चित्र साभार: Science ABC

शनिवार, 20 मई 2017

खाली पन्ने और मीनोपोज

लोग
खुद के
बारे में
खुद को
बता रहे
हों कहीं

जोर जोर से
बोलकर
लिखकर
बड़े बड़े
वाक्यों में
बड़े से
श्याम पट पर
सफेद चौक
की बहुत लम्बी
लम्बी सीकों से

लोग
देख रहे हों
बड़े लोगों के
बड़े बड़े
लिखे हुऐ को
श्याम पट
की लम्बाई
चौड़ाई को
चौक की
सफेदी के
उजलेपन को भी

बड़ी बात
होती है
बड़ा
हो जाना
इतना बड़ा
हो जाना
समझ में
ना आना
समझ
में भी
आता है
आना
भी चाहिये
जरूरी है

कुछ लोग
लिखवा
रहे हों
अपना बड़ा
हो जाना
अपने ही
लोगों से
खुद के
बारे में
खुद के
बड़े बड़े
किये धरे
के बारे में
लोगों को
समझाने
के लिये
अपना
बड़ा बड़ा
किया धरा

शब्द वाक्य
लोगों के भी हों
और खुद के भी
समझ में आते हों
लोगों को भी
और खुद को भी

आइने
के सामने
खड़े होकर
खुद का बिम्ब
नजर आता हो
खुद को और
साथ में खड़े
लोगों को
एक जैसा
साफ सुथरा
करीने से
सजाई गयी
छवि जैसा
दिखना
भी चाहिये
ये भी जरूरी है

इन लोग
और
कुछ लोग
से इतर

सामने
से आता
एक आदमी
समझाता हो
किसी
आदमी को

जो वो
समझता है
उस आदमी
के बारे में

समझने वाले के
अन्दर चल रहा हो
पूरा चलचित्र
उसका अपना
उधड़ा हुआ हो
उसको खुद
पानी करता
हुआ हो
बहुत बड़ी
मजबूरी 
है

कुछ भी हो

तुझे क्या
करना है
‘उलूक’

दूर पेड़ पर
बैठ कर
रात भर
जुगाली कर
शब्दों को
निगल
निगल कर
दिन भर

सफेद पन्ने
खाली छोड़ना
भी मीनोपोज
की निशानी होता है

तेरा इसे समझना
सबसे ज्यादा
जरूरी 
है
बहुत जरूरी है ।

चित्र साभार: People Clipart

बुधवार, 1 जुलाई 2015

किसको क्या लगता है लगता होगा लगता रहे सोचने से अच्छा है कर लेना

अच्छा होता है
कुछ लिख लिखा
कर बंद कर देना
किताब के
पन्नों को
हो सके तो
चिपका देना
या सिल लेना
सुई तागे से
चारों तरफ से
ताकि खुलें
नहीं पन्ने
शब्दों को हवा
पानी लगना
अच्छा नहीं होता
बरसात में वैसे भी
नमी ज्यादा
होने से सील
जाती हैं चीजें
खत्म हो जाता
है शब्दों का
कुरकुरापन
गीले भीगे हुऐ
शब्द गीले
कागजों से
चिपके हुऐ
आकर्षित नहीं
करते किसी को
क्या देखने
क्या समझने
किसी के लिखे
हुऐ शब्द
शब्द तो
शब्द होते हैं
शब्दकोष में
बहुत होते हैं
इसके शब्द इसके
उसके शब्द उसके
करता रहे कोई
अपने हिसाब से
आगे पीछे
बनाता रहे
आँगन मकान
चिड़िया तूफान
दूसरों के शब्दों
से बनी इमारत
देख कर रहना
वैसे भी सीखा
नहीं जाता
अपने अपने मकान
खुद ही बनाना
खुद उसमें रहना
खुद सजाना
सँवारना अच्छा है
सबकी अपनी
किताब अपने ही
गोंद से चिपकी हुई
अपने पास ही
रहनी चाहिये
खुले पन्ने हवा में
फड़फड़ाते आवाज
करते हुऐ अच्छे
नहीं समझे जाते हैं
ऐसा पढ़ाया तो
नहीं गया है यहाँ
इस जगह पर
पर ऐसा ही जैसा
कुछ महसूस होता है
सही है या गलत
पता नहीं है अभी
पहली बार ही कहा है
किसी और को भी
ऐसा लगता है
चिपकी किताबों के
चिपके पन्नों को
गिनता भी तो
कोई नहीं है यहाँ।

चित्र साभार: www.canstockphoto.com

रविवार, 15 फ़रवरी 2015

पन्नों के पहले पन्ने पन्नों के बाद पन्ने



कुछ काले सफेद पन्ने कुछ खाली सफेद पन्ने
पन्नो से उलझते पन्ने पन्नो से निबटते पन्ने
एक दो से शुरु होकर एक हजार होते पन्ने
किसने गिनने हैं पन्ने किसने पलटने हैं पन्ने
पन्नो के ऊपर पन्ने पन्नो के नीचे पन्ने
कुछ उठे उठे से पन्ने 
कुछ आधी नींद के उनींदे उनींदे से पन्ने
कुछ सोते हुऐ से पन्ने
पन्नों की सुनते पन्ने पन्नों की कहते पन्ने
कुछ इसके यहाँ के पन्ने कुछ उसके वहाँ के पन्ने
कुछ इसके उठाते पन्ने कुछ उसके सजाते पन्ने
कुछ कुछ घटा कर लगाते पन्ने
कुछ कुछ जुड़ा कर लगाते पन्ने
कुछ बस देखने ही आते पन्ने
कुछ देख कर ही जाते पन्ने
कुछ अपने उठाते पन्ने कुछ उसके उठाते पन्ने
पन्नों की भीड़ में कुछ के कभी खो भी जाते पन्ने
पन्नों के आघे पन्ने पन्नों के पीछे पन्ने
पन्नों की कहानियों को पन्नों को सुनाते पन्ने ।

चित्र साभार: www.yoand.biz

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2014

क्या किया जाये ऐसे में अगर कोई कहीं और भी मिल जाये

रिश्ते शब्दों के
शब्दों से भी
हुआ करते हैं
जरूरी नहीं
सारे रिश्तेदार
एक ही पन्ने में
कहीं एक साथ
मिल बैठ कर
आपस में बातें
करते हुऐ
नजर आ जायें
आदमी और
उसकी सोच की
पहुँच से दूर
भी पहुँच जाते हैं
एक पन्ने के
शब्दों के रिश्ते
किसी दूसरे के
दूसरे पन्ने की
तीसरी या चौथी
लाईन के बीच में
कहीं कुछ असहज
सा भी लगता है
कुछ शब्दों का
किसी और की
बातों के बीच
मुस्कुराना
कई बार पढ़ने
के बाद बात
समझ में आती
हुई सी भी
लगती है
बस पचता
नहीं है शब्द का
उस जगह होना
जैसे किसी के
सोने के समय
के कपड़े कुछ
देर के लिये
कोई और पहन
बैठा हो
उस समय एक
अजीब सी इच्छा
अंदर से बैचेन
करना शुरु
कर देती है
जैसे वापस
माँगने लगे कोई
अचानक पहने
हुऐ वस्त्र
आँखे कई बार
गुजरती हैं
शब्दों से इसी तरह
कई लाईनों के
बीच बीच में
बैठे हुऐ रिश्तेदारों
के वहाँ होने की
असहजता के बीच
मन करता है
खुरच कर क्यों ना
देख लिया जाये
क्या पता
नीचे पन्ने पर
कुछ और लिखा हुआ
समझ में आसानी
से आ जाये
‘उलूक’ तेरे चश्में में
किस दिन किस
तरह की खराबी
आ जाये
तेरे रिश्तेदार
कौन कौन से
शब्द है और
कहाँ कहाँ है
शायद किसी
की समझ में
कभी गलती
से आ ही जाये।

चित्र साभार: http://www.clipartpanda.com

सोमवार, 24 मार्च 2014

उससे ध्यान हटाने के लिये कभी ऐसा भी लिखना पड़ जाता है

कभी सोचा है
लिखे हुए एक
पन्ने में भी
कुछ दिखता है
केवल पढ़ना
आने से ही
नहीं होता है
पन्ने के आर
पार भी देखना
आना चाहिये
घर के दरवाजे
खिड़कियों की तरह
एक पन्ने में भी
होती हैं झिर्रियाँ
रोशनी भीतर की
बाहर छिरकती है
जब शाम होती है
अँधेरा हो जाता है
सुबह का सूरज
निकलता है
थोड़ा सा उजाला
भी कहीं से
चला ही आता है
लिखा हुआ रेत
का टीला कहीं
कहीं एक रेगिस्तान
तक हो जाता है
मरीचिका बनती
दिखती है कहीं

एक जगह सूखा
पड़ जाता है
नमी लिया
हुआ होता है
तो एक बादल
भी हो जाता है
नदी उमड़ती है कहीं
कहीं ठहरा हुआ
एक तालाब सा
हो जाता है
पानी हवा के
झौंको से
लहरें बनाता है
गलतफहमी भी
होती हैं बहुत सारी
कई पन्नों में
सफेद पर काला
नहीं काले पर
सफेद लिखा
नजर आता है
समय के साथ
बहुत सा समझना
ना चाहते हुए
 भी
समझना पड़ जाता है
हर कोई एक
सा नहीं होता है
किसी का पन्ना
बहुत शोर करता है
कहीं एक पन्ना
खामोशी में ही
खो जाता है
किसी का लिखा
खाद होता है
मिट्टी के साथ
मिलकर एक
पौंधा बनाता है
कोई कंकड़ पत्थर
लिखकर जमीन को
बंजर बनाता है
सब तेरे जैसे
बेवकूफ नहीं
होते हैं “उलूक”
जिसका पन्ना
सिर्फ एक पन्ना
नहीं होता है
रद्दी सफेद कपड़े
की छ: मीटर की
एक धोती जैसा
नजर आता है ।