लिखने
लिखाने
की बातें
वैसे
बहुत कम
की जाती हैं
कभी कभी
गलतियाँ भी
मगर हो
ही जाती हैं
बातों बातों में
पूछ बैठा कोई
कहीं लिखने
वाले से ही
लिखने लिखाने
के बावत यूँ ही
क्यों लिखते हो
कहाँ लिखते हो
क्या लिखते हो
ज्यादा कुछ नहीं
कुछ ही बताओ
मगर बताओ तो सही
हम तो बताते भी हैं
लिखते लिखाते भी हैं
छपते छपाते भी हैं
किताबों में कहीं
अखबारों में कहीं
तुम तो दिखते नहीं
लिखते हुऐ भी कहीं
पढ़े तो क्या पढ़े
कैसे पढ़े कुछ कोई
लिखने वाले
के लिये ऐसा नहीं
किसी ने पूछी हो
नई बात अब कोई
उसे मालूम है
वो भी
लिखता है कुछ
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
बस यूँ ही
लिखता है
जिनके
कामों को
जिनकी
बातों को
उनको करने
कराने से ही
फुरसत नहीं
पढ़ने आते हैं मगर
कुछ भटकते हुऐ
जो पढ़ते तो हैं
लिखे हुऐ को यहीं
पल्ले पढ़ता है कुछ
या कुछ भी नहीं
पढ़ने वाला ही तो
कुछ कहीं लिखता नहीं ।
चित्र साभार: fashions-cloud.com
लिखाने
की बातें
वैसे
बहुत कम
की जाती हैं
कभी कभी
गलतियाँ भी
मगर हो
ही जाती हैं
बातों बातों में
पूछ बैठा कोई
कहीं लिखने
वाले से ही
लिखने लिखाने
के बावत यूँ ही
क्यों लिखते हो
कहाँ लिखते हो
क्या लिखते हो
ज्यादा कुछ नहीं
कुछ ही बताओ
मगर बताओ तो सही
हम तो बताते भी हैं
लिखते लिखाते भी हैं
छपते छपाते भी हैं
किताबों में कहीं
अखबारों में कहीं
तुम तो दिखते नहीं
लिखते हुऐ भी कहीं
पढ़े तो क्या पढ़े
कैसे पढ़े कुछ कोई
लिखने वाले
के लिये ऐसा नहीं
किसी ने पूछी हो
नई बात अब कोई
उसे मालूम है
वो भी
लिखता है कुछ
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
बस यूँ ही
लिखता है
जिनके
कामों को
जिनकी
बातों को
उनको करने
कराने से ही
फुरसत नहीं
पढ़ने आते हैं मगर
कुछ भटकते हुऐ
जो पढ़ते तो हैं
लिखे हुऐ को यहीं
पल्ले पढ़ता है कुछ
या कुछ भी नहीं
पढ़ने वाला ही तो
कुछ कहीं लिखता नहीं ।
चित्र साभार: fashions-cloud.com