सब ही तो उछाल रहे हैं बड़ी तबीयत से उछाल रहें है
एक नहीं कई पत्थर आसमान की और बिना किसी शोर
और आसमान है
कि होने ही नहीं देता है एक भी छेद कितना भी लगाले कोई जोर
कि होने ही नहीं देता है एक भी छेद कितना भी लगाले कोई जोर
आसमान भी जानता है आसमान भी पहचानता है
पत्थर को भी और उसे उछालने वाले को भी बहुत अच्छी तरह से
वो नहीं रहा कभी भी किसी की ओर
वो नहीं रहा कभी भी किसी की ओर
आसमान की परेशानी आज कुछ और है
जिस पर उस का नहीं चल रहा कोई जोर है
जिस पर उस का नहीं चल रहा कोई जोर है
वो वो है
जिसके पास ना कोई पत्थर रहा कभी
ना उसे किसी पत्थर से मतलब रहा
उसके मन में ही चोर है
जिसके पास ना कोई पत्थर रहा कभी
ना उसे किसी पत्थर से मतलब रहा
उसके मन में ही चोर है
कल जब करोड़ों पत्थर आसमान की तरफ जा रहे थे
हर किसी के ख़्वाब में होते हुए छेद महसूस किये जा रहे थे
हर किसी के ख़्वाब में होते हुए छेद महसूस किये जा रहे थे
कोई छेद की ओट में बैठा धुआं बना रहा था
किसी एक पत्थर पर छपा ले जाए खुद का नाम योजना बना रहा था
आसमान मुस्कुरा रहा था
नजर रहती है क्योंकि उसकी चारों ओर
किसी एक पत्थर पर छपा ले जाए खुद का नाम योजना बना रहा था
आसमान मुस्कुरा रहा था
नजर रहती है क्योंकि उसकी चारों ओर
हुआ छेद जैसे ही आसमान में
तालियों से आसमान गडगडा रहा था
एक पत्थर ने नहीं किया छेद करोड़ों छेदों से हुआ है आसमान पटा
दूरदर्शन बताना चाह रहा था
तालियों से आसमान गडगडा रहा था
एक पत्थर ने नहीं किया छेद करोड़ों छेदों से हुआ है आसमान पटा
दूरदर्शन बताना चाह रहा था
बिना पत्थर खुद को उछालता हुआ सामने से
पत्थर की तस्वीर हाथ में लिए खुद को ही कोई लहरा रहा था
पत्थर की तस्वीर हाथ में लिए खुद को ही कोई लहरा रहा था
देश समझ रहा था पहचान रहा था
अचानक दूरदर्शन में देखने वालों की संख्या में बहुत बडी गिरावट
आने वाले समय को अच्छी तरह समझा रहा था
अचानक दूरदर्शन में देखने वालों की संख्या में बहुत बडी गिरावट
आने वाले समय को अच्छी तरह समझा रहा था
चलो चंद्रयान के बहाने ही सही
‘उलूक’ एक पत्थर तबीयत से तो उछालो यारो का मतलब
सारे देश को आज फिर से
बहुत अच्छी तरह से समझ में आ रहा था |
‘उलूक’ एक पत्थर तबीयत से तो उछालो यारो का मतलब
सारे देश को आज फिर से
बहुत अच्छी तरह से समझ में आ रहा था |