चींंटियाँ
बहुत कम
बहुत कम
अकेली दौड़ती नजर आती है
चीटियाँ
बिना वजह लाईन बना कर
इधर से उधर कभी नहीं जाती हैं
छोटी चींंटियाँ एक साथ
कुछ बड़ी अलग कहीं साथ साथ
और बहुत बड़ी
कम देखने वाले को भी दूर से ही दिख जाती हैं
लगता नहीं कभी
छोटी चींंटियों के दर्द और गमो के बारे में
बड़ी चीटियाँ
कोई संवेदना जता पाती हैं
कोई संवेदना जता पाती हैं
चींंटियों की किताब में लिखे
लेख कविताऐं भी कोई संकेत सा नहीं दे पाती हैं
चींंटियों के काम कभी रुकते नहीं है
बहुत मेहनती होती हैं चींंटियाँ हमेशा
चाटने पर आ गई तो मरा हुआ हाथी भी चाट जाती हैं
छोटी चींटियों के लिये
बड़ी चीटियों का प्रेम और चिंता
अखबार के समाचार के ऊपर छपे समाचार
से उजागर हो जाती है
पहले दिन छपती है
चींंटियों से
उस गुड़ के बरतन को छीने जाने की खबर
जिसे लूट लूट कर चींंटियाँ
चीटियों की लाईन में रख पाती हैं
खबर फैलती है
चींंटियों में मची भगदड़ की
दूसरे किस्म की चीटियों के कान में पहुँच जाती है
दूसरे दिन
दूसरी चींंटियाँ
पहली चींंटियों की मदद के लिये
झंडे लहराना शुरु हो जाती है
पूछती हैं
झंडे लहराना शुरु हो जाती है
पूछती हैं
ऐसे कैसे सरकार
अपनी चींंटियों में भेद कर जाती है
अपनी चींंटियों में भेद कर जाती है
इधर भी तो लूट ही मची है
चींंटियाँ ही लूट रही हैं
उधर की चींंटियों को गुड़ छीन कर
दे देने का संकेत देकर
सरकार आखिर करना क्या चाहती है
दे देने का संकेत देकर
सरकार आखिर करना क्या चाहती है
ये सब रोज का रोना है
चलता हुआ खिलौना है
चाबी भरने की याद आती है तभी भरी जाती है
कुछ समझ में आये या ना आये
एक बात पक्की सौ आने समझ में आती है
लाईन में लगी चींंटियों की मदद करने
लाईन वाली चींंटियाँ ही आती है
लाईन से बाहर
दौड़ भाग कर
लाईन को देखते रहने वाली चींंटियाँ
दौड़ भाग कर
लाईन को देखते रहने वाली चींंटियाँ
गुड़ की
बस खुश्बू दूर से ही सूँघती रह जाती हैं ।
बस खुश्बू दूर से ही सूँघती रह जाती हैं ।
चित्र साभार: www.gettyimages.com