जरूरत
नहीं है
अब
अब
किसी
कोर्ट
कचहरी
कचहरी
वकील की
जनाब
जनाब
जजों
को भी
को भी
कह दिया जाये
कुछ
नया काम
नया काम
ढूँढ लिजिये
अब
अब
अपने लिये भी
किसी
झण्डे
के नीचे
आप
आप
तुरत फुरत में
होने लगा है
फटाफट
जब
जब
अपने आप
सारा
सब कुछ
बहुत
साफ साफ
साफ साफ
खबर
के
चलते ही
के
चलते ही
छपने छपाने
तक
पहुँचने
से
पहले ही
जिरह
बहस होकर
फैसला
सुनाना
शुरु
हो गया है
हो गया है
किसी
तरफ से
कोई एक
निकाल
कर
मुँह अपना
सुबह
बिना धोये
उठते उठते
लिये हाथ में
गरम धुआँ
उठाता
हुआ
हुआ
चाय
का
गिलास
दे दे रहा हो
जैसे
खुद
खुद
खुदा को
यूँ ही
मुफ्त में
मुफ्त में
उसके किये
करवाये
का
का
न्याय और इन्साफ
गुनहगार
और
गुनाह
गुनाह
ही
बस
बस
जरूरी नहीं
रह गया है
अब
अब
अन्दर
हो
जाने के लिये
जाने के लिये
बुद्धिजीवी
कहलाये जाने
के लिये
जरूरी
हो गया
है होना
लेकिन
लेकिन
पढ़ाई लिखाई
में
फीस माफ
फीस माफ
ताकीद है
जाँच लें
वक्त रहते
वक्त रहते
अपनी
सोच की
लम्बाई और चौड़ाई
पैमाना लेकर
खुली धूप में
बैठ कर
अपने
आप
आप
मत कह देना
बाद में
कभी
कभी
बताया नहीं
छोटी
सोच के
सोच के
शेयरों में
ले आये
ले आये
अचानक उछाल
कोई
बिना धनुष
का
तीरंदाज
तीरंदाज
इतनी
वफादारी
वफादारी
जिम्मेदारी पहरेदारी
नहीं
देखी होगी
देखी होगी
पूरी हो चुकी
तीन चौथाई
से
से
ज्यादा की
जिन्दगी में
जिन्दगी में
‘उलूक’
तूने भी
तूने भी
कुछ सोच
कुछ खुजा
कुछ खुजा
अपना
खाली दिमाग
लगा
कुछ अन्दाज
कर शुरु
गिरफ्तारी
जेल सजा बीमा
कब कौन
अन्दर हो जाये
रात
के सपने
के टूटने
से पहले ही
से पहले ही
बाहर
निकल कर
आने का
कहीं
तो हो
किसी के पास
अपना भी
कुछ
लेन देन
कर
कर
लेने देने
का
हिसाब किताब
कुछ
बिन्दास।
चित्र साभार: https://www.dallasnews.com