होता है
सभी के
साथ होता है
कोई
गा देता है
कोई रो देता है
कोई
खुद के
खो गये होने के
आभास जैसा
मुँह बनाये लटकाये
शहर
की किसी
अंधेरी गली
की ओर
घूमने जाने
की बात करते हुए
चौराहे
की किसी
पतली गली
की ओर
हो रहा होता है
कोई
रख देता है
बोने के लिये बीज
सभी
चीजों के
नहीं
बनते हैं
जानते हुए
बूझते हुए
पेड़ पौंधे
जिनके
कुछ को
आनन्द आता है
जूझते हुए
हुए के साथ
होने
ना होने का
बही खाता बनाये
हर खबर
की कबर
खोदने वाला
भी भूल सकता है
खबरें
भी लाशें
हो जाती है
सड़ती हैं
फूलती हैं
गलती हैं
पड़ी पड़ी
अखबार
समाचार टी वी
रेडियो पत्रकार
निकल निकल
कर गुजर जाते हैं
उसके
अगल बगल से
कुछ
उत्साहित
उसे
उसी के
होंठों पर
बेशरमी
के साथ
सरे आम
भीड़ के
सामने सामने
चूमते हुए भी
अपनी
अपनी ढपली
पीटते सरोकारी लोग
झंडे
दर झंडे जलाते
पीटते
फटी आवाज
के साथ
फटी
किस्मत के
कुछ घरेलू बीमार
लोगों की
तीमारदारी
के रागों को
शहर भी
इन सब
सरोकारों के साथ
जहाँ लूला काना
अंधा हो चुका होता है
सरोकारी
‘उलूक’ भी
अपनी चोंच को
तीखा करता हुआ
एक
खबर को
बगल में दबाये हुए
एक
कबर को
खोदने में
कई दिनों से
लगा होता है
सब को
सब मालूम
सब को
सब पता होता है
मातम होना है
पर मातम होने
तक का इंतजार
किसी
को भी
नहीं होता है
ना खून होता है
ना आँसू होते हैं
ना ही
कोई होता है
जो जार जार
रोता है ।
चित्र साभार: www.123rf.com
सभी के
साथ होता है
कोई
गा देता है
कोई रो देता है
कोई
खुद के
खो गये होने के
आभास जैसा
मुँह बनाये लटकाये
शहर
की किसी
अंधेरी गली
की ओर
घूमने जाने
की बात करते हुए
चौराहे
की किसी
पतली गली
की ओर
हो रहा होता है
कोई
रख देता है
बोने के लिये बीज
सभी
चीजों के
नहीं
बनते हैं
जानते हुए
बूझते हुए
पेड़ पौंधे
जिनके
कुछ को
आनन्द आता है
जूझते हुए
हुए के साथ
होने
ना होने का
बही खाता बनाये
हर खबर
की कबर
खोदने वाला
भी भूल सकता है
खबरें
भी लाशें
हो जाती है
सड़ती हैं
फूलती हैं
गलती हैं
पड़ी पड़ी
अखबार
समाचार टी वी
रेडियो पत्रकार
निकल निकल
कर गुजर जाते हैं
उसके
अगल बगल से
कुछ
उत्साहित
उसे
उसी के
होंठों पर
बेशरमी
के साथ
सरे आम
भीड़ के
सामने सामने
चूमते हुए भी
अपनी
अपनी ढपली
पीटते सरोकारी लोग
झंडे
दर झंडे जलाते
पीटते
फटी आवाज
के साथ
फटी
किस्मत के
कुछ घरेलू बीमार
लोगों की
तीमारदारी
के रागों को
शहर भी
इन सब
सरोकारों के साथ
जहाँ लूला काना
अंधा हो चुका होता है
सरोकारी
‘उलूक’ भी
अपनी चोंच को
तीखा करता हुआ
एक
खबर को
बगल में दबाये हुए
एक
कबर को
खोदने में
कई दिनों से
लगा होता है
सब को
सब मालूम
सब को
सब पता होता है
मातम होना है
पर मातम होने
तक का इंतजार
किसी
को भी
नहीं होता है
ना खून होता है
ना आँसू होते हैं
ना ही
कोई होता है
जो जार जार
रोता है ।
चित्र साभार: www.123rf.com