होता है
निगाहें
कहीं और
को लगी होती हैं
और
निशाना
कहीं और को
लगा होता है
इस
सब के लिये
आँखों का
सेढ़ा होना
जरूरी
नहीं होता है
ये भी होता है
बकवास को
पढ़ना नहीं होता है
बढ़ती
आवत जावत
की घड़ी की सूईं
पढ़ने पढ़ाने का
पैमाना नहीं होता है
ये मजबूरी होता है
हरी भरी
कविताओं से भरी
क्यारियों के बीच में
पनपती हुयी भुर भुरी
खरपतवार को
उखाड़ने के लिये
ध्यान देना
बहुत जरूरी होता है
इसे होना होता है
देर रात
सड़क पर
दल बल सहित
निकले पहरेदार को
सायरन
बजाना ही होता है
किनारे हो लो
जहाँ भी हो
सेंध में लगे
चोर भाईयों को
सन्देश दूर से
पहुँचाना होता है
ये जरूरी होता है
ज्यादा चूहों से
अनाज को
बचाने के लिये
दिमाग
लगाना होता है
कुछ चूहों की
एक समीति बनाकर
सारे अनाज को
उनकी देखरेख में
थोड़ा थोड़ा कर
कुतरवाना होता है
इसका
कुछ नहीं होता है
गाय की तरह
बातों की घास को
दिनभर निगल कर
‘उलूक’ ने
रातभर
जुगाली
करने में
बिताना ही
होता है।
चित्र साभार: https://www.deviantart.com
निगाहें
कहीं और
को लगी होती हैं
और
निशाना
कहीं और को
लगा होता है
इस
सब के लिये
आँखों का
सेढ़ा होना
जरूरी
नहीं होता है
ये भी होता है
बकवास को
पढ़ना नहीं होता है
बढ़ती
आवत जावत
की घड़ी की सूईं
पढ़ने पढ़ाने का
पैमाना नहीं होता है
ये मजबूरी होता है
हरी भरी
कविताओं से भरी
क्यारियों के बीच में
पनपती हुयी भुर भुरी
खरपतवार को
उखाड़ने के लिये
ध्यान देना
बहुत जरूरी होता है
इसे होना होता है
देर रात
सड़क पर
दल बल सहित
निकले पहरेदार को
सायरन
बजाना ही होता है
किनारे हो लो
जहाँ भी हो
सेंध में लगे
चोर भाईयों को
सन्देश दूर से
पहुँचाना होता है
ये जरूरी होता है
ज्यादा चूहों से
अनाज को
बचाने के लिये
दिमाग
लगाना होता है
कुछ चूहों की
एक समीति बनाकर
सारे अनाज को
उनकी देखरेख में
थोड़ा थोड़ा कर
कुतरवाना होता है
इसका
कुछ नहीं होता है
गाय की तरह
बातों की घास को
दिनभर निगल कर
‘उलूक’ ने
रातभर
जुगाली
करने में
बिताना ही
होता है।
चित्र साभार: https://www.deviantart.com