एक अहसास है
और रहेगा भी हमेशा तेरे लिये
और रहेगा भी हमेशा तेरे लिये
कहीं दिल के किसी एक कोने में कहीं
नहीं बता सकता सही सही किस जगह और कहाँ
लिख नहीं सकता लिखना भी कठिन है कुछ भी यहाँ
लिख भी दिया
समझेगा कौन उस जगह
समझेगा कौन उस जगह
शब्द ढूढने में माहिर हैं और
कम नहीं बहुत हैं सारे हैं लोग जहाँ
यहाँ से लेकर गिनती नहीं है कहाँ से कहाँ
इंसान
और इंसानियत डूबती रही है
और इंसानियत डूबती रही है
एक बार नहीं कई कई बार पता नहीं कहाँ कहाँ
तुझ जैसी पवित्र आत्माऐं ही होती हैं
रही हैं सदियों से डूबते मरते हुऐ अँधेरे में डूबते को
तिनके के सहारे की जैसी प्राण रोशनी
होता रहा है जिससे जीवित मरता जहाँ
तिनके के सहारे की जैसी प्राण रोशनी
होता रहा है जिससे जीवित मरता जहाँ
अवसान
हुआ होगा पवित्र शरीर का
अमर आया था है और रहेगा
नाम धरती पर आकाश पर
तेरा जैसा सच में इंसानियत से भरा
इंसानों में सबसे बड़ा इंसान दूसरा
नाम धरती पर आकाश पर
तेरा जैसा सच में इंसानियत से भरा
इंसानों में सबसे बड़ा इंसान दूसरा
इसके बाद अब कब दिखेगा कौन जाने यहाँ ।
चित्र साभार: pages.rediff.com