अचानक
कौंधा कुछ
औंधे लेटे हुऐ
जमीन पर
घरेलू
कुत्ते के पास
मन हुआ
कुछ चिंता कर
उपाय खोजा जाये
इंसान की
घटती हुई
इंसानियत पर
इस से पहले
कि इंसानियत ही
इतिहास हो जाये
कुछ देर
के लिये सही
कुछ बातें
खाली यूँ ही
दिल
बहलाने के लिये
झूठ मूठ के लिये ही
खुद से कह ली जायें
समझ में
आ चुकी
अब तक की
सारी बातें
पोटलियों में बधीं
खुद के अंदर
गाँठे खोल कर
फिर से देखी जायें
रोज की
इधर की उधर
और उधर की इधर
करने की आदत से
थोड़ी देर के
लिये ही सही
कुछ तौबा
कर ली जाये
इस सब में
उलझते उलझते
टटोला गया
खुद के ही अंदर
बहुत कुछ भीतर का
पता ही
नहीं चला
कैसे और कब
बालों वाला
कुछ जानवर जैसा
आदमी हो चला
और
समझ में
आने लगा
पास में बैठा हुआ
घरेलू जानवर
कितना
कितना इंसान
क्यों और कैसे हो चला
थोड़ा सा धैर्य बंधा
चलो इधर
खत्म भी हो
जाती है इंसानियत
तब भी
कहीं ना कहीं
तो बची रहेगी
किसी
मोहनजोदाड़ो
जैसी खुदाई में
‘उलूक’
की राख में ना सही
कुत्ते
की हड्डी में
शर्तिया
कुछ ना कुछ
तो पक्का ही मिलेगी ।
चित्र साभार: schools-demo.clipart.com
कौंधा कुछ
औंधे लेटे हुऐ
जमीन पर
घरेलू
कुत्ते के पास
मन हुआ
कुछ चिंता कर
उपाय खोजा जाये
इंसान की
घटती हुई
इंसानियत पर
इस से पहले
कि इंसानियत ही
इतिहास हो जाये
कुछ देर
के लिये सही
कुछ बातें
खाली यूँ ही
दिल
बहलाने के लिये
झूठ मूठ के लिये ही
खुद से कह ली जायें
समझ में
आ चुकी
अब तक की
सारी बातें
पोटलियों में बधीं
खुद के अंदर
गाँठे खोल कर
फिर से देखी जायें
रोज की
इधर की उधर
और उधर की इधर
करने की आदत से
थोड़ी देर के
लिये ही सही
कुछ तौबा
कर ली जाये
इस सब में
उलझते उलझते
टटोला गया
खुद के ही अंदर
बहुत कुछ भीतर का
पता ही
नहीं चला
कैसे और कब
बालों वाला
कुछ जानवर जैसा
आदमी हो चला
और
समझ में
आने लगा
पास में बैठा हुआ
घरेलू जानवर
कितना
कितना इंसान
क्यों और कैसे हो चला
थोड़ा सा धैर्य बंधा
चलो इधर
खत्म भी हो
जाती है इंसानियत
तब भी
कहीं ना कहीं
तो बची रहेगी
किसी
मोहनजोदाड़ो
जैसी खुदाई में
‘उलूक’
की राख में ना सही
कुत्ते
की हड्डी में
शर्तिया
कुछ ना कुछ
तो पक्का ही मिलेगी ।
चित्र साभार: schools-demo.clipart.com