जंगल के
सियार
तेंदुऐ
जब से
शहर की
तरफ
अपने पेट
की भूख
मिटाने
के लिये
भाग आने
लगे हैं
किसी
बहुत दूर
के शहर
के शेर का
मुखौटा लगा
मेरे शहर
के कुत्ते
दहाड़ने का
टेप बजाने
लगे हैं
सारे
बिना पूँछ
के कुत्ते
अब एक
ही जगह
पर खेलते
नजर आने
लगे हैं
पूँछ वाले
पूँछ वालों
के लिये ही
बस अब
पूँछ हिलाने
डुलाने लगे हैं
चलने लगे हैं
जब से कुछ
इस तरीके के
अजब गजब
से रिवाज
जरा सी बात
पर अपने ही
अपनों से दूरी
बनाने लगे हैं
कहाँ से चल
कर मिले थे
कई सालों
में कुछ
हम खयाल
कारवाँ बनने
से पहले ही
रास्ते बदल
बिखर
जाने लगे हैं
आँखो में आँखे
डाल कर बात
करने की
हिम्मत नहीं
पैदा कर सके
आज तक भी
चश्मे के ऊपर
एक और
चश्मा लगा
दिन ही नहीं
रात में तक
आने लगे हैं
अपने ही
घर को
आबाद
करने की
सोच पैदा
क्यों नहीं
कर पा
रहे हो
'उलूक'
कुछ आबाद
खुद की ही
बगिया के
फूलों को
रौँदने के
तरीके
अपनो को
ही सिखाने
लगे हैं ।
सियार
तेंदुऐ
जब से
शहर की
तरफ
अपने पेट
की भूख
मिटाने
के लिये
भाग आने
लगे हैं
किसी
बहुत दूर
के शहर
के शेर का
मुखौटा लगा
मेरे शहर
के कुत्ते
दहाड़ने का
टेप बजाने
लगे हैं
सारे
बिना पूँछ
के कुत्ते
अब एक
ही जगह
पर खेलते
नजर आने
लगे हैं
पूँछ वाले
पूँछ वालों
के लिये ही
बस अब
पूँछ हिलाने
डुलाने लगे हैं
चलने लगे हैं
जब से कुछ
इस तरीके के
अजब गजब
से रिवाज
जरा सी बात
पर अपने ही
अपनों से दूरी
बनाने लगे हैं
कहाँ से चल
कर मिले थे
कई सालों
में कुछ
हम खयाल
कारवाँ बनने
से पहले ही
रास्ते बदल
बिखर
जाने लगे हैं
आँखो में आँखे
डाल कर बात
करने की
हिम्मत नहीं
पैदा कर सके
आज तक भी
चश्मे के ऊपर
एक और
चश्मा लगा
दिन ही नहीं
रात में तक
आने लगे हैं
अपने ही
घर को
आबाद
करने की
सोच पैदा
क्यों नहीं
कर पा
रहे हो
'उलूक'
कुछ आबाद
खुद की ही
बगिया के
फूलों को
रौँदने के
तरीके
अपनो को
ही सिखाने
लगे हैं ।