उलूक टाइम्स: दयां
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गुरुवार, 4 जनवरी 2024

हथियार किसी के हाथ में ना कभी थे ना अभी हैं


हथियार
किसी के हाथ में
ना कभी थे ना अभी हैं
पर कुछ तो
डाल चुकें है लोग
क्या ?
बस इसी का आभास नहीं है

बहुत कुछ
उबल रहा है पर भाप नहीं है
ना कोई
हंस रहा है ना कोई रो रहा है
सबके पास
काम है कुछ महत्वपूर्ण
जो दिया गया है
उन्हें
अपने होने का ही आभास नहीं है

रास लीला के समय
सुना है कुछ ऐसा ही हुआ था
गोपियां
थी तो सही कहीं
पर उन्हें पता ही नहीं था

क्या वही समय
अपने को दोहरा रहा है ?

आँखे
देख नहीं रही है कुछ भी
कानों से
सुना नहीं जा रहा है
जिह्वा
चिपक चुकी है तालुओं के साथ

शायद कहीं
समुंदर से भी बड़ा कुछ मथा जा रहा है
उसी में से
निकला अमृत हर एक के हिस्से का
उसके गले से
जैसे नीचे की और खिसकाया जा रहा है

अब
इससे बड़ा और क्या चाहिए ?

आदमी सम्मोहन में है
आदमी ध्यान में है
आदमी समाधिस्थ है

‘उलूक’
कितना अजीब है तू
ऐसे में भी
बकवास करने से
बाज नहीं आ रहा है ?

चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/