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शनिवार, 7 मार्च 2015

मुझे ही लगा या तुझे भी कुछ महसूस हुआ

किसी ने गौर
भी नहीं किया
मीडिया भी
चुप चाप रहा

हर बार इसकी
और उसकी
तलवार लेकर
वार करने की
फितरत वाला

इस बार की
होली में आखिर
क्यों कहीं
भी नहीं दिखा

होली में देश
नहीं होता है क्या
होली में प्रेम
नहीं होता है क्या

उसके चेहरे पर
किसी ने कोई रंग
आखिर
क्यों नहीं लिखा

ज्वलंत है प्रश्न
पर उत्तर कहीं भी
लिखा हुआ
नहीं बिका

ऐसा क्या बस
मुझे ही लगा
या किसी और ने भी
इस बात को सोचा

झाडू‌ तक उठा
ले गया था किसीका
रंग देख कर क्यों
और
कहाँ खिसक गया

हिंदू मुसलमान
सिख और ईसाई
को भूल गया

समझ में सच में
नहीं आ रहा है
कोई समझाये मुझे

क्या इसी बीच
कुछ दिनों
कश्मीर जाकर क्या

वो आदमी हो गया
रंगीन चेहरे बनाने
में माहिर रंग हीन
किसलिये हो गया ?

चित्र साभार: www.disneyclips.com