उलूक टाइम्स: पच्चीस लाख कदम
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मंगलवार, 9 जुलाई 2019

खुद अपना मन्दिर बना कर खुद मूर्ती एक होना चाहता है साफ नजर आता है देखिये अपने आसपास है कोई ऐसा जो भगवान जैसा नजर आता है


"ब्लॉग उलूक पर पच्चीस  लाख कदमों  को शुक्रिया"


भगवान बस 
भगवानों से ही 

रिश्ते बनाता है 

किसी 
आदमी से 
बनाना चाह लिया 
रिश्ता कभी उसने तो 

सब से 
पहले उसे 
एक भगवान बनाता है 

एक 
आदमी 
उसे जरा 
सा दमदार 
अगर नजर 
आ भी जाता है 

उससे 
तार मिलाने 
की इच्छा को 
उभरता हुआ 
महसूस यदि 
कर ही जाता है 

सबसे पहले 
उस आदमी से 
आदमियत 
निकाल कर 
उसे भगवान 
बनाता है 

भगवानों की 
श्रँखलायें होती है 

इंसानियत 
के साये से 
बहुत दूर होती हैं 

भगवान 
इन्सान को 
पाल सकता है 

मौज में 
आ गया कभी 
तो कुत्ता भी 
बना ले जाता है 

हर 
इन्सान 
के आसपास 

कई 
भगवान होते हैं 

कौन 
कितना 
भगवान 
हो चुका है 

समय 
के साथ 
चलता हुआ 
आदमी का 
अच्छा बुरा 
समय ही 
उसे 
समझाता है 

कुछ 
आदमी 
भगवान ने 
भगवान 
बना दिये होते हैं 

भगवान 
से बहुत 
ज्यादा 
भगवान 

उनकी 
हरकतों से 
बहता हुआ 
नजर आता है 

धीरे धीरे 
हौले हौले 
हर तरफ 
हर जगह 
बस भगवान 
ही नजर आता है 

‘उलूक’ 
देखता 
चलता है 

आदमी के 
बीच से 
होते हुऐ 
भगवान 
कई सारे 

देखने 
में मजा 
भी आता है 

आदमी 
तो आदमी 
ही होता है 

भगवान 
बना भी दिया 
अगर किसी 
ने ले दे के 

औकात 
अपनी 
फिर भी 
आदमी 
की ही 
दिखाता है


 चित्र साभार: https://making-the-web.com