माता पिता
समाज
परिवेश
घर गाँव
शहर देश
पता नहीं
यहाँ तक
आते आते
किसने क्या
क्या पढ़ाया
शिक्षक दिवस
पर आज
अपने गुरुजनों
के साथ साथ
हर वो शख्स
मुझे याद आया
जिसने
कुछ ना कुछ
अच्छा बुरा
मुझे सिखाया
कोशिश
भी की
सीखने की
कुछ कुछ
हमेशा
पर
रास्ता
अपने
गुरु का
दिया हुआ
ही अपनाया
यहाँ तक
बेरोकटोक
शायद
इसी लिये
चल के
आराम से
आ पाया
आसपास
अपने
बोली भाषा
और
पहनावे
को
आज जब
मैं
खुद नहीं
समझ पाया
प्रश्न उठना
ही था
मन के कोने
में कहीं
पूछ बैठा
उसी समय
अपने आप से
वहीं के वहीं
शिक्षा
दी हो
शायद यही
मैंने ही
सब कुछ इन्हें
वही इन
सब के
व्यवहारों में
परिलक्षित हो
सामने से
है आया ।
समाज
परिवेश
घर गाँव
शहर देश
पता नहीं
यहाँ तक
आते आते
किसने क्या
क्या पढ़ाया
शिक्षक दिवस
पर आज
अपने गुरुजनों
के साथ साथ
हर वो शख्स
मुझे याद आया
जिसने
कुछ ना कुछ
अच्छा बुरा
मुझे सिखाया
कोशिश
भी की
सीखने की
कुछ कुछ
हमेशा
पर
रास्ता
अपने
गुरु का
दिया हुआ
ही अपनाया
यहाँ तक
बेरोकटोक
शायद
इसी लिये
चल के
आराम से
आ पाया
आसपास
अपने
बोली भाषा
और
पहनावे
को
आज जब
मैं
खुद नहीं
समझ पाया
प्रश्न उठना
ही था
मन के कोने
में कहीं
पूछ बैठा
उसी समय
अपने आप से
वहीं के वहीं
शिक्षा
दी हो
शायद यही
मैंने ही
सब कुछ इन्हें
वही इन
सब के
व्यवहारों में
परिलक्षित हो
सामने से
है आया ।