ये मत समझ लेना
कि वो बुरा होता है
पर तरक्की पसन्द
जो आदमी होता है
किसी ना किसी
दल से जरूर
जुड़ा होता है
दल से जो जुड़ा
हुवा नहीं होता है
उसका दल तो
खुद खुदा होता है
स्टेटस उसका बहुत
उँचा उठा होता है
जिसके चेहरे पर
झंडा लगा होता है
सत्ता होने ना होने
से कुछ नहीं होता है
इनकी रहे तो
ये उनको
नहीं छूता है
उनकी रही तो
इनको भी कोई
कुछ नहीं कहता है
इस बार इनका
काम आसान होता है
उनका ये समय तो
आराम का होता है
अगली बार उनका
हर जगह नाम होता है
इनका कुन्बा दिन
हो या रात सोता रहता है
बिना झंडे वाले
बकरे का
बार बार काम
तमाम होता है
जिसे देखने
के लिये भी
वहाँ ना ये होता है
ना ही वो होता है
भीड़ काबू करने का
दोनो को जैसे कोई
वरदान होता है
भीड़ के एक छोटे
हिस्से पर इनका
दबदबा होता है
बचे हिस्से को
जो काबू में
कर ही लेता है
अपने कामों को
करने के लिये
झंडा मिलन भी
हो रहा होता है
मीटिंग होती है
मंच बनता है
उस समय इनका
झंडा घर में सो
रहा होता है
पर तरक्की पसंद
जो आदमी होता है
किसी ना किसी
झंडे से जुड़ा होता है
जिसका
कोई झंडा
नहीं होता है
वो कभी भी
ना ये होता है
ना वो होता है।
कि वो बुरा होता है
पर तरक्की पसन्द
जो आदमी होता है
किसी ना किसी
दल से जरूर
जुड़ा होता है
दल से जो जुड़ा
हुवा नहीं होता है
उसका दल तो
खुद खुदा होता है
स्टेटस उसका बहुत
उँचा उठा होता है
जिसके चेहरे पर
झंडा लगा होता है
सत्ता होने ना होने
से कुछ नहीं होता है
इनकी रहे तो
ये उनको
नहीं छूता है
उनकी रही तो
इनको भी कोई
कुछ नहीं कहता है
इस बार इनका
काम आसान होता है
उनका ये समय तो
आराम का होता है
अगली बार उनका
हर जगह नाम होता है
इनका कुन्बा दिन
हो या रात सोता रहता है
बिना झंडे वाले
बकरे का
बार बार काम
तमाम होता है
जिसे देखने
के लिये भी
वहाँ ना ये होता है
ना ही वो होता है
भीड़ काबू करने का
दोनो को जैसे कोई
वरदान होता है
भीड़ के एक छोटे
हिस्से पर इनका
दबदबा होता है
बचे हिस्से को
जो काबू में
कर ही लेता है
अपने कामों को
करने के लिये
झंडा मिलन भी
हो रहा होता है
मीटिंग होती है
मंच बनता है
उस समय इनका
झंडा घर में सो
रहा होता है
पर तरक्की पसंद
जो आदमी होता है
किसी ना किसी
झंडे से जुड़ा होता है
जिसका
कोई झंडा
नहीं होता है
वो कभी भी
ना ये होता है
ना वो होता है।